अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,
गिरवर धारी हो,
हम आए शरण तिहारी ॥
महापातकी रहा अजामिल,
उसे मिला सुरधाम,
नारायण आ गए लिया जब,
पुत्र का अपने नाम,
संकट हारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
जब जल में गजराज ग्राह में,
युद्ध हुआ घनघोर,
हार गया गज तो बोला,
दौड़ो नंद किशोर,
सुदर्शन धारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
हिरणाकुश प्रहलाद को जब,
बाँधा खंबे के साथ,
तब बोला प्रहलाद कहाँ हो,
आओ दीनानाथ,
शरण हितकारी हो,
आया शरण तिहारी,
अवध बिहारी हों,
हम आए शरण तिहारी ॥
अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,
गिरवर धारी हो,
हम आए शरण तिहारी ॥
माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी, जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 2025 में 21 जनवरी को पड़ रही है।
सनातन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही खास और पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।
सनातन हिंदू धर्म में, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इससे साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सनातन हिंदू धर्म में कालाष्टमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विशेष दिन काल भैरव बाबा को समर्पित है। यदि कोई साधक इस तिथि पर सच्चे मन से भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव बाबा की पूजा करता है।