आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
बुलावा जब जब भवन से आए,
भेज के चिठियाँ ओए,
भेज के चिठियाँ मात बुलाए,
नंगे पाओं ओए,
नंगे पाओं चलके जाएँ,
भेंटे लेके ओए,
भेंटे लेके खड़े है द्वार,
मैया दर्शन दो,
मैया दर्शन दो सिंह सवार ॥
माँ का कोई है पार ना पाया,
रूप धर कन्या का,
रूप धर कन्या का महामाया,
दुखड़ा भक्तो का,
दुखड़ा भक्तो का मात मिटाया,
करे कन्याओ का,
करे कन्याओ का जो सत्कार,
भवानी करती बेडा पार ॥
वैष्णो माँ की महिमा भारी,
हरेगी ‘लख्खा’ चिंताए सारी,
शेरोवाली की,
जोतावाली की,
मेहरावाली की,
अम्बे रानी की,
तारनहारी हारी माँ,
‘सरल’ चल चलिए ओय,
‘सरल’ चल चलिए ओय एक बार,
खुलेंगे खुशियों के,
खुलेंगे खुशियों के फिर द्वार ॥
आए मैया के नवराते,
हो रहे घर घर में,
हो रहे घर घर में जगराते,
रिझाते मैया को,
रिझाए मैया को झूमते गाते,
गूंज रही भक्तो की,
गूंज रही भक्तो की जय जयकार,
सजा है माता का,
सजा है माता का दरबार ॥
आज 4 अगस्त यानी रविवार को हरियाली अमावस्या है, ये तिथि भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास की एक विशेष तिथि है जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि साल के इस समय धरती हरियाली की चादर से ढक जाती है इसलिए श्रावण अमावस्या को हरियाली का त्यौहार कहा जाता है।
हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।
शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।
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