पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर,
छठी मईया व्रत तोहर।।
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार,
भूल-चूक गलती हमार।।
गोदी के बलकवा के दिहा,
छठी मईया ममता-दुलार,
छठी मईया ममता-दुलार।।
पिया के सनईहा बनईहा,
मैया दिहा सुख सार,
मैया दिहा सुख सार।।
नारियल केरवा घवदवा,
साजल नदिया किनार,
साजल नदिया किनार।।
सुनिहा अरज छठी मैया,
बढ़े कुल परिवार,
बढ़े कुल परिवार।।
घाट सजवली मनोहर,
मैया तोरा भगती अपार,
मैया तोरा भगती अपार।।
लिहि ए अरग हे मैया,
दिहीं आशीष हजार,
दिहीं आशीष हजार।।
पहिले पहिल हम कईनी,
छठीमैया बरत तोहर,
छठीमैया व्रत तोहर।।
करिहा क्षमा छठी मईया
भूल-चूक गलती हमार
भूल-चूक गलती हमार
भूल-चूक गलती हमार
दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।
दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है।
पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।