पवन पुत्र हनुमान तुम्हारी,
अजब अनोखी माया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
तेरी भक्ति में है शक्ति,
राम नाम नित गाते हो,
अपने सच्चे प्यार की खातिर,
सीना चीर दिखाते हो,
राम नाम की माला जपके,
राम नाम की माला जपके,
राम को तुम ने पाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
रघुवर के तुम सदा सनेही,
तुमको गले लगाते है,
अपनी हर दुविधा में बजरंग,
तुमको सदा बुलाते है,
प्यार में उनके डूब के तुमने,
प्यार में उनके डूब के तुमने,
राम रतन धन पाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
अंजनी माँ के लाल तुम्हारे,
जग में खेल निराले है,
असुर निकंदन कहलाते हो,
सबके संकट टाले है,
‘केवल’ ने जग छोड़ के सारा,
‘केवल’ ने जग छोड़ के सारा,
तुमसे नेह लगाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
अपने भगतो को तुम हनुमत,
कभी नहीं बिसराते हो,
सुनके भक्तो की फरियादे,
दौड़े दौड़े आते हो,
केवल दामन थाम के हमने,
केवल दामन थाम के हमने,
आस का दीप जलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
पवन पुत्र हनुमान तुम्हारी,
अजब अनोखी माया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है,
तुमसा दयालु कोई ना जग में,
राम भक्त कहलाया है ॥
बीच जंगल में बसा है मां भवानी का दिव्य सिंहासिनी दरबार, भक्त रहषु की पुकार पर आईं थीं माता
प्रतिमा साल भर टेढ़ी मुद्रा में रहती है। राम नवमी के दिन यह प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी दिन देवी की आरती और पूजा लाठियों से की जाती है।
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असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयदशमी देशभर में मनाया जाता है। हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अनूठी शैली से मनाया जाता है।