भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे,
तुझे आज रे,
ओ मेरे बाला बलवान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
अटके हुए तू सारे कारज बनावे,
कारज बनावे,
पल में नैया पार लगावे,
पार लगावे,
मारुती नंदन हे दुखभंजन,
कर दो भव से पार रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
माँ अंजनी के तुम हो दुलारे,
तुम हो दुलारे,
सियाराम को भी लगते हो प्यारे,
लगते हो प्यारे,
भक्तों के ही बस में आते,
महावीर हनुमान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
इन नैनो की प्यास बुझा दो,
प्यास बुझा दो,
सोए हुए मेरे भाग्य जगा दो,
भाग्य जगा दो,
जो भी तेरी शरण में आए,
कर दे मालामाल रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
तेरी महिमा सब जग गावे,
सब जग गावे,
शोभा तेरी वर्णी ना जावे,
वर्णी ना जावे,
भक्ति जगाकर ‘अमन’ के दिल में,
देना राम मिलाय रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
भक्त तेरे बुलाये हनुमान रे,
तुझे आज रे,
ओ मेरे बाला बलवान रे,
भक्त तेरे बुलाए हनुमान रे,
तुझे आज रे ओ मेरे बाला ॥
लोक आस्था का महापर्व चैती छठ सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह 4 दिनों तक चलता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है।
छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जो चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जो डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होता है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में।
हिंदू धर्म में आस्था और सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व चैती छठ को माना जाता है। छठ पूजा साल में दो बार कार्तिक और चैत्र माह में मनाई जाती है। कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग मनाते हैं, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी उतना ही खास है।
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।