नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे,
ऊँचा है तेरा धाम,
हे कैलाश के वासी भोले,
हम करते है तुझे प्रणाम ॥
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया,
अजब है तेरी माया,
इसे कोई समझ ना पाया,
यशोदा के घर आया,
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
अंग विभूति गले रूँड माला,
शेषनाग लिप्टायो,
बाँको तिलक भाल चंद्रमा,
घर घर अलख जगायो,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
ले भिक्षा निकली नंदरानी,
कंचन थाल जडायो,
दो भिक्षा जोगी आसन जायों,
बालक मेरो डरायो,
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
ना चाहिए तेरी दौलत दुनिया,
ना ही कंचन माया,
अपने लाला का दरश करा दे,
मै दर्शन को आया,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
पाँच वार परिक्रमा करके,
सुन्डि नाद बजायौ,
सूरदास बलिहारी कन्हैया की,
जुग जुग जिये तेरो लालों,
नगर में जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया।
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
नगर मे जोगी आया,
भेद कोई समझ ना पाया,
अजब है तेरी माया,
इसे कोई समझ ना पाया,
यशोदा के घर आया,
सबसे बढ़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥
भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, वे न केवल धर्म के रक्षक थे बल्कि एक महान युद्ध आचार्य भी थे। उन्होंने कई महान योद्धाओं को शस्त्र और युद्ध की विद्या का ज्ञान दिया था, जिनमें से तीन शिष्य ऐसे थे जिन्होंने महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध में कौरवों की सेना की डोर संभाली थी।
अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अप्रैल साल का चौथा महीना होता है। अप्रैल का चौथा हफ्ता विभिन्न त्योहारों और उत्सवों से भरा हुआ है। इस हफ्ते में कई महत्वपूर्ण त्योहार पड़ेंगे।
भारत देश के झारखंड राज्य के गुमला जिले में स्थित टांगीनाथ धाम, भगवान परशुराम के शक्तिशाली फरसे के रहस्य के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान रांची से लगभग 150 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसे धार्मिक आस्था और विश्वास का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
सनातन धर्म में भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पूजा जाता है, जिनका जन्म त्रेता युग में हुआ था और उनका उद्देश्य धरती पर धर्म की स्थापना और अधर्मियों का विनाश करना था।