म्हारा खाटू वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम,
सिद्ध श्री शुभ ओपमा थाने,
पावा ढोक प्रणाम जी,
समाचार एक पंच जो थासु,
बहुत जरुरी काम जी,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
घणा मान स्यु लिख्यो आज थारो,
उत्सव एक मनाणो है,
थोड़ो लिख्यो घणो समझोगा,
थाने निश्चय आणो है,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
सगळा साथ मिल घणा चाव स्यु,
नित की मंगल गावे है,
और बात सब ठीक ठाक पर,
थारी याद सतावे है,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
सेवक थारा घणा उनमना,
था बिन बहुत उदास जी,
जी में हो तो करो कलेवा,
आकर म्हारे पास जी,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
भूल चूक सब माफ़ करो,
म्हणे बैगा दर्शन दीजो जी,
दास बिहारी के नैणा में,
हरदम बैठ्या रीझो जी,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
म्हारा खाटू वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम,
सिद्ध श्री शुभ ओपमा थाने,
पावा ढोक प्रणाम जी,
समाचार एक पंच जो थासु,
बहुत जरुरी काम जी,
म्हारा खाटु वाला श्याम,
ओ म्हारा लीले वाला श्याम ॥
रथ सप्तमी सनातन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह त्योहार 4 फरवरी को मनाई जाएगी।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। रथ सप्तमी को भानु सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। भानु सप्तमी के दिन भगवान भास्कर की पूजा करने से आरोग्य का वरदान मिलता है।
रथ-सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि अगर सूर्यदेव की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ किया जाए तो व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के साथ मान-सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है।
स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान शिव के बड़े पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।