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चटक मटक चटकीली चाल, और ये घुंघर वाला बाल (Chatak Matak Chatkili Chaal Aur Ye Ghunghar Wala Baal)

चटक मटक चटकीली चाल, और ये घुंघर वाला बाल (Chatak Matak Chatkili Chaal Aur Ye Ghunghar Wala Baal)

चटक मटक चटकीली चाल,

और ये घुंघर वाला बाल,

तिरछा मोर मुकट सिर पे,

और ये गल बैजंती माल,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


नटखट नटवर नन्द दुलारे,

तुम भक्तो के प्राण आधारे,

चंचल चितवन चीर चुरइयाँ,

सबकी नैया पार लगइयाँ,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


केसरिया बागा तन सोहे,

बांकी अदा मेरा मन मोहे,

कैसी मंत्र मोहनी डाली,

मैं सुध भूल भई मतवारी,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


पल पल करू वंदना तेरी,

पूरी करो कामना मेरी,

छवि धाम रूप रस खानी,

प्रीत की रीत निभानी जानी,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥


चटक मटक चटकीली चाल,

और ये घुंघर वाला बाल,

तिरछा मोर मुकट सिर पे,

और ये गल बैजंती माल,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार,

तेरी सांवरी सुरतिया,

पे दिल गई हार ॥

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बसंत पंचमी कथा

बसंत पंचमी सनातन धर्म का विशेष पर्व है, जिसे माघ महीने में मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। इस खास दिन पर माता शारदा की पूजा की जाती है और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

बसंत पंचमी पूजा विधि

बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी पर गुलाल क्यों चढ़ाते हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी पर पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

बसंत पंचमी सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

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