जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए ॥
जब काँधे पे मैं कावड़ उठाऊँ,
उससे मैं जितना पुण्य कमाऊँ,
उसको रखू मैं बचाके आशीर्वाद के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए ॥
इन काँधों में ऐसी तू शक्ति भरदे,
आखरी समय में उनकी सेवा करदे,
काम मुश्किल ये नहीं है भोलेनाथ के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए ॥
कावड़ हो या अर्थी भोले आए तेरे पास हो,
‘बनवारी’ तेरे ऊपर इतना तो विश्वास हो,
तेरा कावड़िया ना तरसे सर पे हाथ के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए ॥
जिस काँधे कावड़ लाऊँ,
मैं आपके लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए,
वो काँधा काम आ जाए,
माँ और बाप के लिए ॥
मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥
माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरो की सवारी,
ओम नम शिवाय,
ओम नम शिवाय,
मैं उस दरबार का सेवक हूँ,
जिस दर की अमर कहानी है,