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बाँधु जिसपे राखी, वो कलाई चाहिए (Bandhu jispe Rakhi wo Kalai chahiye)

बाँधु जिसपे राखी, वो कलाई चाहिए (Bandhu jispe Rakhi wo Kalai chahiye)

बाँधु जिसपे राखी,

वो कलाई चाहिए,

बहना कहने वाला,

एक भाई चाहिए,

माँ पूरी मेरी आस कर,

खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥


हिरे मोती सोना चांदी,

मांगू कब माँ,

बंगले की गाडी की भी,

कोई चाह ना,

सुना सुना लगे जग,

भाई के बिना,

आँख हो जैसे रोशनाई के बिना,

दीपक हूँ मैं तेल बाती के बगैर,

डाल दो माँ झोली में,

मुरादो वाली खैर,

सारी दुनिया ना,

ना खुदाई चाहिए,

बहना कहने वाला,

एक भाई चाहिए,

माँ पूरी मेरी आस कर,

खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥


जब जब राखी का,

त्यौहार आए माँ,

अँखियों में मेरे आंसू,

भर आए माँ,

बात नहीं मैया कुछ,

मेरे बस की,

लाख रोकू रुक नहीं,

पाती सिसकी,

हर सिसकी ने यही,

शिकवा किया,

मैया तूने काहे एक,

भाई ना दिया,

सिसकियों की होनी,

सुनवाई चाहिए,

बहना कहने वाला,

एक भाई चाहिए,

माँ पूरी मेरी आस कर,

खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥


दुःख सुख बांटे जो,

सरल स्वभाव हो,

पूरा मेरे मन का,

हर चाव हो,

देख देख मुखड़ा मैं,

वारि जाउंगी,

बाधूंगी राखी मैं,

टिका लगाऊंगी,

होगी जब शादी,

फूली ना समाऊँगी,

गाउंगी मैं घोड़ियां,

शगन मनाऊंगी,

गाने को ‘लख्खा’,

बस बधाई चाहिए,

बहना कहने वाला,

एक भाई चाहिए,

माँ पूरी मेरी आस कर,

खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥


बाँधु जिसपे राखी,

वो कलाई चाहिए,

बहना कहने वाला,

एक भाई चाहिए,

माँ पूरी मेरी आस कर,

खड़ी मैं कब से तेरे दर ॥

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देवता भी स्वार्थी थे, दौड़े अमृत के लिए (Dewata Bhi Swarthi The, Daude Amrat Ke Liye)

देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,

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मां लक्ष्मी पूजा विधि

दीपावली, जिसे दीपोत्सव या महालक्ष्मी पूजन का पर्व भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का सबसे पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व विशेषकर धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए ही मनाया जाता है।

पार्वती जी की पूजा विधि

शुक्रवार का दिन देवी पार्वती सहित सभी स्त्री देवी-स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन माता पार्वती को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का उत्तम समय है।

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