Logo

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

देवी दुर्गा का ही एक रुप में वनदेवी, इस विधि से पूजा करने से मिलता है लाभ 


हिंदू धर्म में वनदेवी को जंगलों, वनस्पतियों, और वन्य जीवों की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, कई आदिवासी समुदायों में वनदेवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है। वे देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों में से एक हैं और शक्ति का प्रतीक हैं। उन्हें प्रकृति की माता के रूप में भी पूजा जाता है जो सभी जीवित प्राणियों की रक्षा करती हैं। वनदेवी जीवन के चक्र की अनंत का प्रतीक भी मानी जाती हैं। वे जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को नियंत्रित करती हैं। वनदेवी उपजाऊ शक्ति का प्रतीक हैं। वे कृषि और पशुपालन से जुड़े लोगों की देवी हैं। अब ऐसे में अगर आप वनदेवी की पूजा कर रहे हैं, तो किस विधि से करने से शुभ परिणाम मिल सकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


वनदेवी की पूजा के लिए सामग्री क्या है? 


  • फूल
  • फल
  • पत्ते
  • धूप
  • दीपक
  • जल
  • नैवेद्य
  • कलश
  • चावल
  • रोली
  • चंदन
  • अक्षत
  • नारियल
  • पान का पत्ता
  • सुपारी


वनदेवी की पूजा किस विधि से करनी चाहिए? 


वनदेवी की पूजा आम तौर पर किसी पेड़ के नीचे, जंगल में या किसी प्राकृतिक स्थल पर की जाती है। आप अपने घर के बगीचे में भी एक छोटा सा मंदिर बनाकर पूजा कर सकते हैं।


  • पूजा के लिए आप फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य और जल लें।
  • दीपक जलाएं और धूप दें।
  • वनदेवी की पूजा विधिवत रूप से करें।
  • वनदेवी को फल और मेवे का भोग लगाएं। 
  • वनदेवी की पूजा-अर्चना करने के दौरान मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। 
  • सर्व मंगल मांगल्ये:
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं: 
  • या देवी सर्वभूतेषु: 
  • नमो भूदेव्यै:
  • वनदेवी की पूजा करने के बाद आरती करें। 
  • आरती करने के बाद सभी को प्रसाद जरूर बांटें। 


वनदेवी के मंत्रों का करें जाप 


अगर आप वनदेवी की पूजा कर रहे हैं, तो मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। 

  • ऊं वनदेवी नमः
  • ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे:
  • ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं: 


वनदेवी की पूजा कब करनी चाहिए?


अगर आप वनदेवी की पूजा कर रहे हैं, तो सुबह के समय कभी भी कर सकते हैं। पूजा करने से पहले वनदेवी का आह्नान जरूर करें।  


वनदेवी की करें आरती 


जय वनदेवी महाक्रूरा,
दुनिया में तेरी है धूम।
हर जंगल में तेरा डंका,
सर्वश्रेष्ठ है तेरा रूप।।
जय वनदेवी महाक्रूरा।
काटे जो बुरा समय हो,
तू उनसे भी न कोई दूर।
तेरे चरणों में बसा सुख,
तू है सबकी आशा और पूर।।
जय वनदेवी महाक्रूरा।
हिरण, बाघ और हाथी,
तेरे आशीर्वाद से बहे।
जो सच्चे मन से तुझे पूजे,
उसके घर में सुख समेटे।।
जय वनदेवी महाक्रूरा।
गगन में तेरी महिमा गाई,
धरती पर भी तेरा राज।
हर पेड़-पौधा, हर झाड़ी,
हर स्थान में तेरा ताज।।
जय वनदेवी महाक्रूरा।


वनदेवी की पूजा का महत्व क्या है? 


वनदेवी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी रोगों से भी छुटकारा मिल सकता है। साथ ही अन्न से लेकर फल, फूल पेड़-पौधे सभी वनदेवी के द्वारा ही व्यक्ति को मिलते हैं। वनदेवी की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति भी मिलती है। साथ ही वनदेवी की कृपा भी बनी रहती है। 


........................................................................................................
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं (Hum Ram Ji Ke Ram Ji Hamare Hain)

हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।

हम सब बोलेंगें हैप्पी बर्थ डे टू यू श्याम (Hum Sab Bolenge Happy Birthday To You Shyam)

रंगी गुब्बारो से मंडप सजाया है,
मिशरी मावे का एक केक मंगाया है,

हम सब मिलके आये, दाता तेरे दरबार (Hum Sab Milke Aaye Data Tere Darbar)

हम सब मिलके आये,
दाता तेरे दरबार

हम तुम्हारे तुम हमारे, बन गए हो सांवरे (Hum Tumhare Tum Hamare Ban Gaye Ho Sanware)

हम तुम्हारे तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे,

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang