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चंडी पाठ और हवन की विधि

चंडी पाठ और हवन की विधि

Chandi Havan Vidhi: शुद्ध उच्चारण और आस्था से बदल सकता है भाग्य, इस विधि से करें चंडी पाठ और हवन 

मां दुर्गा को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम है चण्डी पाठ और चण्डी हवन। यह न केवल आपके शत्रु को परास्त करता है बल्कि जीवन की सभी बाधाएं, रोग-दुःख और ग्रहदोष से भी मुक्ति दिलाता है। लेकिन यह साधना जितनी प्रभावशाली है, उतनी ही अनुशासन और सावधानी की भी मांग करती है।

हवन की प्रारंभिक विधि

  • चण्डी हवन किसी भी दिन और समय किया जा सकता है। सबसे पहले हवन कुण्ड का पंचभूत संस्कार करें।
  • कुश के अग्रभाग से वेदी को शुद्ध करें।
  • गोबर और जल से लेपन करें।
  • फिर तीन खड़ी रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर खींचें और अनामिका व अंगूठे से उनमें से मिट्टी बाहर फेंकें।
  • दाहिने हाथ से शुद्ध जल छिड़ककर अग्नि प्रज्वलित करें।
  • अग्निदेव का पूजन करें।

अब इन मंत्रों से घी की आहुति दें:

ॐ प्रजापतये स्वाहा... इन्द्राय स्वाहा... अग्नये स्वाहा... सोमाय स्वाहा... भूः, भुवः, स्वः स्वाहा... ब्रह्मणे, विष्णवे, श्रियै स्वाहा...

षोडश मातृभ्यो स्वाहा... नवग्रह, गणेश और देवी-देवताओं के नाम से आहुति दें।

दुर्गा सप्तशती की हवन विधि 

चण्डी हवन में दुर्गा सप्तशती के हर मंत्र के बाद "स्वाहा" बोलकर आहुति देनी होती है।

  • तीसरे अध्याय में “गर्ज-गर्ज क्षणं” पर शहद से आहुति दें।
  • आठवें अध्याय में “मुखेन काली” श्लोक पर रक्त चंदन की आहुति दें।
  • ग्यारहवें अध्याय की आहुति खीर से दें।
  • "सर्वाबाधा प्रशमनम्" पर काली मिर्च से आहुति दें।
  • अंत में नर्वाण मंत्र से 108 आहुति दें और विशेष सामग्री जैसे सुपारी, पान, कमलगट्टा, गुग्गुल, शहद, लौंग-इलायची के साथ घी की पांच आहुतियां दें।

किस स्थिति में कितनी बार करें श्री चंडी पाठ?

  • पारिवारिक संकट आने पर – 3 बार
  • यदि घर में कोई व्यक्ति तकलीफ में हो – 5 बार
  • भय अथवा अकस्मात संकट – 7 बार
  • परिवार की सुख-समृद्धि हेतु – 9 बार
  • धन प्राप्ति की इच्छा हो – 11 बार प्रतिदिन
  • मनचाही वस्तु की प्राप्ति के लिए – 12 बार
  • घर में सुख-शांति व लक्ष्मी वृद्धि हेतु – 15 बार
  • संतान, धन और प्रतिष्ठा प्राप्ति हेतु – 16 बार
  • शत्रु संकट, मुकदमे या राजदंड से मुक्ति के लिए – 18 बार
  • जेल से मुक्ति (यदि निर्दोष हों) – 25 बार
  • शरीर में घाव, फोड़ा या ऑपरेशन की स्थिति में – 30 बार
  • गंभीर संकट, असाध्य रोग, वंश या धन का नाश – 100 बार (शतचंडी पाठ)
  • मोक्ष की प्राप्ति हेतु – 1000 बार (सहस्त्रचंडी पाठ)

चण्डी पाठ की सावधानियां

शुद्ध उच्चारण अनिवार्य है। जैसे हनुमानजी ने रावण के यज्ञ में एक अक्षर बदल दिया था, वैसे ही सप्तशती में भी अशुद्धता भारी पड़ सकती है।

  • पाठ के लिए स्थान स्वच्छ, शांत और सुगंधित होना चाहिए।
  • रजस्वला स्त्रियों को इस दौरान पूजा स्थल से दूर रहना चाहिए।
  • ब्रह्मचर्य और मानसिक-शारीरिक पवित्रता बनाए रखें।
  • पाठ के दौरान अगर असामान्य अनुभव हों, तो घबराएं नहीं—ये साधना का हिस्सा हैं।

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