हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामना पूरी होती है। हालाँकि, इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से जीव को शनिदेव के दुष्प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन शनिदेव और भगवान शिव की विधिवत तौर पर पूजा करना काफी विशेष माना गया है। मासिक शिवरात्रि व्रत की सही तरीके से पूजा और मासिक शिवरात्रि का व्रत कैसे रखा जाए जानेंगे भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में. साथी ही जानेंगे कि कब है भाद्रपद शिवरात्रि, क्या है इसका शुभ मुहूर्त और क्या है इसकी पूजा और व्रत विधि।
पंचांग के अनुसार भाद्रपद शिवरात्रि रविवार 1 सितंबर को पड़ रही है। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 1 सितंबर को देर रात 3 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। 1 सितंबर को मासिक शिवरात्रि की पूजा का निशिता मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है। इसी 45 मिनट की अवधि में आपको भगवान शिव की पूजा करना है जिससे शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है। इसके आलावा इस साल की भाद्रपद शिवरात्रि पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। इस पवित्र दिन दुर्लभ परिघ योग और शिव योग का संयोग बन रहा है।
भाई दूज भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाती हैं। लेकिन बिहार और कुछ अन्य क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की विधि बेहद अलग और अनोखी है।
दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय महोत्सव में गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक इस त्योहार के साथ ही दिवाली उत्सव का समापन होता है।
दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।