गौरी नंदन तेरा वंदन,
करता है संसार,
तुझे सब प्रथम मनाते,
प्रेम से तुझे बुलाते,
गौरी नन्दन तेरा वंदन,
करता है संसार ॥
मात पिता से तुमने,
ये वर पाया,
इसलिए सारे जग ने,
प्रथम मनाया,
मंगल काज में पड़ती है,
पहले तेरी दरकार,
तुझे सब प्रथम मनाते,
प्रेम से तुझे बुलाते,
गौरी नन्दन तेरा वंदन,
करता है संसार ॥
एकदन्त दयावन्त,
चारभुजा धारी,
मुस की सवारी तेरी,
लगती है प्यारी,
शुभ और लाभ के,
तुम हो दाता,
रिद्धि सिद्धि के भरतार,
तुझे सब प्रथम मनाते,
प्रेम से तुझे बुलाते,
गौरी नन्दन तेरा वंदन,
करता है संसार ॥
लड्डुवन थाल जो भी,
भोग लगाते,
उन भक्तों से बप्पा,
खुश हो जाते,
‘श्याम’ कहे इसके बदले में,
भर देते भंडार,
तुझे सब प्रथम मनाते,
प्रेम से तुझे बुलाते,
गौरी नन्दन तेरा वंदन,
करता है संसार ॥
गौरी नंदन तेरा वंदन,
करता है संसार,
तुझे सब प्रथम मनाते,
प्रेम से तुझे बुलाते,
गौरी नन्दन तेरा वंदन,
करता है संसार ॥
महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन में से एक है। प्रत्येक 12 साल में महाकुंभ का आयोजन भारत के चार पवित्र स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में किया जाता है।
हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता की पूजा अर्चना का विधान है। कुछ ग्रंथों में इस संख्या को तैंतीस प्रकार के देवताओं के रूप में पारिभाषित किया गया है।
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर अपने अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी मूर्ति स्थापित है।
सनातन धर्म में नदियों, पहाड़ों और पेड़ पौधों तक को देवताओं के समान पूजने की परंपरा है। यह हमारी धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, जिसका संबंध प्रकृति प्रेम, पर्यावरण की रक्षा और ईश्वर की दी गई हर चीज के प्रति सम्मान की भावना और विज्ञान की अवधारणाओं से जुड़ा हुआ है।