डम डम डमरू बजाए मेरा जोगी,
जाने कैसी माया रचाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
ध्यान में ये बैठा रखे सबकी खबर है,
भक्तो पे रखता ये अपनी नज़र है,
भक्तो पे जान लुटाए मेरा जोगी,
भक्तो पे जान लुटाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
मेवा नहीं मांगे पकवान नहीं मांगे,
महल अटारी आलिशान नहीं मांगे,
भक्ति से खुश हो जाए मेरा जोगी,
भक्ति से खुश हो जाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
शिव से है मिलना तो जानले ये रस्ता,
भोले भाले भक्तो के दिल में ये बसता,
भक्तो का दिल ना दुखाए मेरा जोगी,
भक्तो का दिल ना दुखाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
इसके इशारे पे जग सारा डोले,
ॐ की ध्वनि सारा ब्रम्हांड बोले,
‘उर्मिल’ लीला दिखलाए मेरा जोगी,
‘उर्मिल’ लीला दिखलाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
डम डम डमरू बजाए मेरा जोगी,
जाने कैसी माया रचाए मेरा जोगी,
डम डम डमरू बजाये मेरा जोगी ॥
भारत की पवित्र नगरी गया दरअसल भगवान विष्णु की पावन भूमि के रूप में जानी जाती है। गया पूरे विश्व में पिंडदान और श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद में आहार का सीधा संबंध ऋतु और शरीर की ज़रूरतों से बताया गया है। भारतीय संस्कृति के अभ्यासी और भारतीय संस्कृति के जानकार पंडित डॉ. राजनाथ झा इस विषय पर बताते हैं कि हर महीने के अनुसार आहार का चयन करना न केवल शरीर के स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।
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