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होलाष्टक पर भूलकर भी ना करें ये गलती

होलाष्टक पर भूलकर भी ना करें ये गलती

Holashtak Niyam: होलाष्टक पर्व पर इन गलतियों को करने से बचें, इससे हो सकती है परेशानी


होलाष्टक की तिथि शुभ कार्य के लिए उचित नहीं मानी जाती है, इन तिथियों के अनुसार इस समय कुछ कार्य करने से सख्त मनाही होती है। क्योंकि इन्हीं दिनों में भक्त प्रह्लाद पर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अत्याचार किया था। साथ ही ज्योतिषीय कारणों से यह माना जाता है कि इन 8 दिनों में ग्रहों की दशा सही नहीं रहती है, जिससे इस समय किए गए नए कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।



होलाष्टक में न करें मांगलिक कार्य


होलाष्टक की तिथियां शुभ नहीं होती हैं, ये हिरण्यकश्यप के अत्याचार को दर्शाती हैं। इसलिए इस समय मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, भूमि पूजन, नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार या कोई नया व्यवसाय शुरू करना शुभ नहीं माना जाता है। क्योंकि इस समय ग्रह दशाओं के अनुरूप भी कार्यों में बाधा आने का डर होता है।



होलाष्टक तिथि पर न खरीदें ये सामान


होलाष्टक की तिथि अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक होती है। अगर आप इन 8 दिनों में कुछ खरीदने का सोच रहे हैं तो अभी रुक जाएं क्योंकि यह मुहूर्त बिल्कुल भी शुभ नहीं है। पुराणिक कथाओं से लेकर ग्रह सब इस तिथि को नए कार्य के लिए अनुचित मानते हैं। इस समय में कोई भी वाहन, घर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, आभूषण, फर्नीचर या ऐसा सामान जो आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, उसे होलाष्टक के पहले खरीदें या फिर होली के बाद ही खरीदें।



होलाष्टक पर हो गई गलतियों से ऐसे बचें


यह समय हिरण्यकश्यप के अत्याचार पर भगवान विष्णु की भक्ति को दर्शाता है। अगर आप इस समय कुछ नया काम करते हैं या फिर आपने कोई तारीख पहले से ही तय कर रखी है, तो भगवान विष्णु का नाम जाप अवश्य करें और उनकी पूजा करके ही काम शुरू करें। साथ ही यह प्रार्थना करें कि जैसे भक्त प्रह्लाद पर संकट पड़ने पर भगवान विष्णु ने उसे आसानी से टाल दिया था, वैसे ही आपके भी शुभ कार्य पर आने वाली सारी बाधाएं टल जाएं। ऐसा करके आप होलाष्टक के समय में किए गए कार्यों से होने वाले संकट और परेशानियों से बच सकते हैं।


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कल्पवास का महत्व

प्रयागराज हिंदू धर्म के सबसे तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहां माघ महीने में कल्पवास करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार माघ माह महाकुंभ के दौरान पड़ रहा है।

मांगलिक कार्यों में क्यों लगाई जाती है हल्दी?

हिंदू धर्म में हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हल्दी के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति से बताया गया है। इतना ही नहीं किसी भी पूजा-पाठ में हल्दी सबसे महत्वपूर्ण सामग्री मानी जाती है।

8वीं सदी में बनाए थे 13 अखाड़े

प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी।

भगवान को पंचामृत से स्नान क्यों कराते हैं?

हिंदू धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह एक पवित्र मिश्रण है जिसे पूजा-पाठ में और विशेष अवसरों पर भगवान को अर्पित किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं। इन पांच पवित्र पदार्थों को मिलाकर बनाया गया पंचामृत भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।

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