प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी। यह कुंभ मेले की शान होते है। शाही सवारी, गाजे-बाजे, घंटा-नाद , साधु-संतों के करतब से यह कुंभ में एंट्री लेते हैं। आम तौर पर कुंभ में 13 प्रमुख अखाड़े भाग लेते हैं, लेकिन यह 13 प्रमुख अखाड़े भी तीन अलग अलग संप्रदायों में बंटे हुए है। इन्हें पूजा पद्धति के तरीकों के चलते बांटा गया है। चलिए आपको अखाड़ों के बारे में और से विस्तार बताते हैं।
शैव संप्रदाय में आने वाले अखाड़ों के साधु- संत भगवान शिव की पूजा करते है। इस संप्रदाय में सबसे प्रसिद्ध नागा साधु है।
1. श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा
यह अखाड़ा प्रयागराज में स्थित है और शैव संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। कपिल मुनि महानिर्वाणी अखाड़े के संरक्षक देवता माने जाते हैं।
2. श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा
निरंजनी अखाड़ा सबसे धनी अखाड़ा माना जाता है। यह हरिद्वार में स्थित है। यहां सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधु संत आपको देखने के लिए मिल जाएंगे।
3. श्री पंचायती आनंद अखाड़ा
आनंद अखाड़ा भारत के सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक है। आनंद अखाड़ा में सूर्य भगवान को भी पूजा जाता है।
4. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
वाराणसी के हनुमान घाट पर स्थित जूना अखाड़े में 5 लाख से ज्यादा साधु संत है। यह नागा साधुओं का सबसे पुराना समूह है।
5.श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा
अटल अखाड़े को सबसे पहला अखाड़ा माना जाता है। इसका मुख्य पीठ पाटन, गुजरात में स्थित है। इस अखाड़े को महानिर्वाणी अखाड़े का छोटा भाई भी माना जाता है।
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा
यह अखाड़ा का मुख्य केंद्र वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर स्थित है। इसमें महिला साधुओं को दीक्षा नहीं दी जाती है। वहीं योग और ध्यान की साधना पर विशेष जोर दिया जाता है।
7.श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा
इस अखाड़े की इष्ट देव माता सरस्वती है। वहीं इनका प्रधान केंद्र काशी है। इसे ब्रह्मचारियों का अखाड़ा भी कहा जाता है।
वैष्णव संप्रदाय के अखाड़े भगवान विष्णु के उपासक होते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं। इनमें भी 3 अखाड़े बहुत प्रमुख हैं।
1. श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा
इस अखाड़े का मठ अयोध्या की हनुमानगढ़ी में स्थित है। यह अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय के प्राचीन अखाड़ों में से एक है। इसके महंत श्री जगन्नाथ दास हैं।
2. श्री दिगंबर अनी अखाड़ा
यह वैष्णव संप्रदाय का सबसे प्रभावशाली संगठन है, जिसका मठ शामलाजी गुजरात में हैं। ये अखाड़ा समाज सेवा में बेहद सक्रिय रहता है।
3. श्री पंच निर्मोही अखाड़ा
इस अखाड़े का मठ वृंदावन में स्थित है। इसके अंतर्गत नौ और अखाड़े आते हैं। पंच निर्मोही अखाड़े में भगवान राम और श्रीकृष्ण को पूजा जाता है।
यह सिख साधु संतों का संप्रदाय है, जिसकी स्थापना गुरु नानक देव जी के पुत्र श्री चंद्राचार्य महाराज ने की थी। इस संप्रदाय में 3 प्रमुख अखाड़े हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन तेलुगु समाज में इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। यह दिन भगवान काल भैरव की पूजा के रूप में मनाया जाता है।