हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन तेलुगु समाज में इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाने की परंपरा है। यह दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा और आस्था का प्रतीक होता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल तेलुगु हनुमान जयंती कब मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार, इस साल तेलुगु हनुमान जयंती 22 मई 2025, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है। यह पर्व तेलुगु पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी के भक्त सुबह-सवेरे पूजा करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
यह पर्व मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और अन्य दक्षिण भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। इन क्षेत्रों के लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान हनुमान का जन्म हुआ था, वहीं कुछ का मानना है कि इस दिन हनुमान जी की प्रभु श्रीराम से पहली मुलाकात हुई थी। इस दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना करके लोग अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
तेलुगु हनुमान जयंती का विशेष महत्व है। इसे आस्था और भक्ति का पर्व माना जाता है। इस दिन हनुमान जी के भक्त उनके आशीर्वाद के लिए विशेष पूजा करते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है, इसलिए वे आज भी पृथ्वी पर अपनी शक्ति के रूप में विद्यमान हैं और अपने भक्तों के हर संकट को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं। तेलुगु समाज इस दिन को विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर मानता है।
दक्षिण भारत में हनुमान जयंती का उत्सव चैत्र मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और पूरे 41 दिन तक मनाया जाता है। यह उत्सव हनुमान दीक्षा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भक्त 41 दिन तक हनुमान जी की आराधना करते हैं। इस दौरान हनुमान जी के मंदिरों को सजाया जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है। हनुमान दीक्षा का समापन वैशाख माह की कृष्ण पक्ष दशमी तिथि को होता है, जब तेलुगु हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है।
हनुमान जयंती के दिन विशेष पूजा की जाती है। भक्त इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, हनुमान जी की मूर्ति पर सिंदूर अर्पित करते हैं और घी का दीपक जलाते हैं। इस दिन भक्त गुलाब और गेंदे के फूल चढ़ाते हैं और लड्डू, हलवा, केला आदि चढ़ाने की परंपरा है। इस दिन घर में सुंदरकांड का पाठ भी किया जाता है। मान्यता है कि इससे भगवान की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सनातन हिंदू धर्म में, कालाष्टमी का पर्व शक्ति, साहस, भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की उपासना करने से जातक के जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं।
प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे विधि विधान से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है।
2025 में इस साल की पहली मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। भक्तों के लिए भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए यह एक उत्तम तिथि और अवसर मानी जाती है।
माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी, जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 2025 में 21 जनवरी को पड़ रही है।