Logo

गंगा दशहरा पर मंत्र जाप

गंगा दशहरा पर मंत्र जाप

Ganga Dussehra Mantra: गंगा दशहरा के दिन जरूर करें इन खास मंत्रों का जाप, जीवन में बनी रहेगी सुख-शांति और समृद्धि

हिन्दू पंचांग के अनुसार, गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है और इसे गंगा स्नान, पूजन और मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का पूजन और उनके विशेष मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं।

मां गंगा के कुछ विशेष मंत्र

  • ‘ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलस्मिन्सन्निधिं कुरु॥’ यह मंत्र पंचजलियों को समर्पित है और विशेष रूप से मां गंगा को आह्वान करता है। 
  • ‘गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां॥’ यह मंत्र मन की शुद्धि के लिए अत्यंत प्रभावी है।
  • ‘गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोकं स गच्छति॥’ यह मंत्र विष्णु पुराण में वर्णित है, जो बताता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मां गंगा का नाम भी ले, वह पापों से मुक्त हो जाता है।
  • वन्दित दिव्य रूपम्। भुक्तिम् च मुक्तिम् च ददासि नित्यम्,भाव अनुसारेण सदा नराणाम्॥ इस मंत्र का नियमित जाप जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है।

इन दो शुभ समय पर करें मंत्र जाप

  • गंगा दशहरा के दिन इन मंत्रों का उच्चारण जल में स्नान करते समय करें।
  • मां गंगा के फोटो या मूर्ति के सामने दीपक जला कर, ध्यान के साथ करें। 

मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक दोष होते हैं दूर

स्कंद पुराण, पद्म पुराण और वराह पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मां गंगा की महिमा का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा गया है कि मां गंगा दिव्य ऊर्जा का स्रोत हैं। गंगा दशहरा के दिन मंत्रों का जाप करने से मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं।

........................................................................................................
रविवार की आरती

हिंदू धर्म में रविवार का दिन भगवान सूर्यदेव को प्रिय है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्यदेव की पूजा जातक के लिए बेहद फलदायी साबित होती है।

वैकासी विसाकम 2025

वैकासी विसाकम, जिसे विशाखा नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है, 2025 में 9 जून, सोमवार को मनाया जाएगा। यह तिथि तमिल पंचांग के अनुसार वैकासी मास के दौरान आती है जब चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में स्थित होता है।

वट सावित्री पूर्णिमा 2025

वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। यह व्रत स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से करती हैं।

वट सावित्री व्रत 2 बार क्यों मनाया जाता है

वट सावित्री व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से रखा जाने वाला एक विशेष पर्व है।

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang