गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 5 जून को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। इसी कारण यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है और विशेष पूजा-अनुष्ठान के लिए उपयुक्त होती है।
गंगा दशहरा के दिन गंगा चालीसा का पाठ करना शास्त्रों में विशेष रूप से पुण्यदायी बताया गया है। गंगा चालीसा मां गंगा की महिमा का गुणगान करती है और उनके भक्तों को पापों से मुक्त करती है। विशेषकर इस दिन जब स्नान, दान और पूजा के साथ गंगा चालीसा का पाठ किया जाए, तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है। इस पाठ से न केवल आत्मा की शुद्धि होती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है।
गंगा चालीसा में अनेक प्रभावशाली श्लोक हैं जिनका मात्र उच्चारण करने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। उदाहरण के लिए:
गंगा चालीसा का हर रोज पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में पवित्रता, संयम, और संतुलन आता है, लेकिन विशेषकर गंगा दशहरा पर इसका पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से तीन पावन ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में अलग-अलग स्थानों पर विराजित है। लेकिन यहां एक ज्योतिर्लिंग ऐसा है जिसके बारे में तीर्थयात्रियों का मानना है की यहां की यात्रा करने से सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा करने का लाभ मिलता है।
विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों का शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
भारत की चारों दिशाओं यानि पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में चार धाम बसे हुए हैं।
विश्व प्रसिद्ध रामेश्वरम मंदिर के दर्शन करने का हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है।