तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम ।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम ॥
घर बार छोड़ा सब तेरी लगन में,
बाँवरी भई डोलूं ब्रिज की गलिन में ।
मेरे स्वांसो की माला तेरे नाम, मेरे अलबेले श्याम ॥
सांवरे सलोने यही विनती हमारी,
करदो कृपा मैं हूँ दासी तुम्हारी ।
तेरी सेवा करूँ आठों याम, मेरे अलबेले श्याम ॥
जब से लड़ी निगोड़ी तेरे संग अखियाँ,
चैन नहीं, दिन मैं काटूं रो रो के रतियाँ ।
तूने कैसा दिया यह इनाम, मेरे अलबेले श्याम ॥
आऊँगी मिलन को तुमसे कर के बहाने,
सांस रूठे, जेठानी मारे सो सो ताने ।
हूँ घर घर में मैं तो बदनाम, मेरे अलबेले श्याम ॥
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम ।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम ॥
हार के आया मैं जग सारा,
तेरी चौखट पर,
गोकुल की हर गली मे,
मथुरा की हर गली मे ॥
गोपाल गोकुल वल्लभे,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभं ।
जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।