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मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

भैया भैया कह के, भैया भैया कह के,

रस प्राणों में घोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल ॥


इस धरती पे और ना होगा,

मुझ जैसा हतभागा,

मेरे रहते बाण शक्ति का,

तेरे तन में लागा,

जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे,

मुझसे नेह का धागा,

मैं भी अपने प्राण तजूँगा,

आज जो तू नहीं जागा,

अंखियो के तारे, अंखियो के तारे,

लल्ला अंखिया तू खोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल ॥


बीती जाए रेन पवनसुत,

क्यों अब तक नहीं आए,

बुझता जाए आस का दीपक,

मनवा धीर गंवाए,

सूर्य निकलकर सूर्य वंश का,

सूर्य डुबो ना जाए,

बिना बुलाये बोलने वाला,

बोले नहीं बुलाये,

चुप चुप रहके, चुप चुप रहके,

मेरा धीरज ना तोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल ॥


मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

भैया भैया कह के भैया भैया कह के,

रस प्राणों में घोल,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल ॥

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विकट संकष्टी व्रत विधि

विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते है तथा उपवास रखते है। ऐसा कहा जाता है की यह व्रत करने से जीवन की बाधाओं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

भगवान गणेश को क्यों कहते हैं बुद्धि के दाता

संकष्टी चतुर्थी को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि के दाता भी कहा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

हिंदू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी अधिक होता है।

चैत्र पूर्णिमा 2025 कब है

हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस दिन विशेष रूप से व्रत, स्नान-दान और पूजा-पाठ का आयोजन किया जाता है।

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