हिंदू धर्म में विकट संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। गणेश चतुर्थी का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, लेकिन विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी अधिक होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जो विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि के दाता माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और विधिवत रूप से पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन विशेष रूप से दिनभर भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करना चाहिए और संकट निवारण की प्रार्थना करनी चाहिए। विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत में दिनभर निर्जला या फलाहार व्रत रखा जाता है और इस दिन चूहों को खाना खिलाने से विशेष फल की प्राप्ति भी होती है।
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है ‘संकटों को नाश करने वाली चतुर्थी’। यह दिन विशेष रूप से भगवान गणेश को समर्पित होता है, जो विघ्नहर्ता यानी सभी बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से संतान सुख, संतान की लंबी उम्र, और परिवार की खुशहाली के लिए भी किया जाता है।
नरसिंह भगवान हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से चौथा अवतार हैं। उन्हें आधा मानव और आधा सिंह के रूप में दर्शाया जाता है। यह एक ऐसा अवतार था जो अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए लिया गया था।
भगवान परशुराम का जन्म राजा जीमूतवाहन और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। वे ब्राह्मण कुल से थे, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में शस्त्र-विद्या का ज्ञान और युद्धकला का अभ्यास था। उन्हें भगवान विष्णु के दशावतार में एक माना जाता है। परशुराम जी ने भगवान शिव से भी शिक्षा ली थी।
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,
जगन्नाथ यानी कि जगत के स्वामी या संसार के प्रभु। यह उनके ब्रह्म रूप और संसार के पालनहार के रूप को दर्शाता है। भगवान जगन्नाथ की पूजा विशेष रूप से "रथ यात्रा" के दौरान होती है, जो एक प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है। यह यात्रा पुरी में आयोजित होती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।