मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
नंदी की सवारी है,
गौरा मैया साथ है,
डोर ये जीवन की,
तेरे ही हाथ है,
सर्पों की गल में माला है,
पहने तन पे छाला है,
तन पे भस्म रमाते हैं,
महाकाल कहलाते हैं,
तीनो लोक तुझसे पावन,
हे दयालु हे शम्भू,
मेरे भोलें बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
भूतों की सेना है,
भूतनाथ कहाते है,
रास रचा संग कान्हा के,
गोपेश्वर बन जाते है,
जो भी दर पे आता है,
झोली भर ले जाता है,
मन इच्छा फल पाता है,
तेरे ही गुण गाता है,
तीनो लोक तुझसे पावन,
हे दयालु हे शम्भू,
मेरे भोलें बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥
फुलेरा दूज भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक का त्योहार है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। वहीं यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी होता है।
फुलेरा दूज हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित होता है। इस दिन को उत्तरी राज्य खासकर ब्रज क्षेत्र में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। विनायक चतुर्थी, उन्हीं को समर्पित एक त्योहार है। यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
स्कन्द षष्ठी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जिसका हिंदू धर्म में खास महत्व है।