भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। विनायक चतुर्थी, उन्हीं को समर्पित एक त्योहार है। यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं। विशेष रूप से व्यापार, शिक्षा और करियर में सफलता पाने के लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है। फाल्गुन विनायक चतुर्थी को सौभाग्य पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए लेख के जरिए जानते हैं कि 2025 में विनायक चतुर्थी कब मनाई जाएगी और इस दिन पूजा कैसे कर सकते हैं।
उदया तिथि के अनुसार साल 2025 में फाल्गुन विनायक चतुर्थी 3 मार्च को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 3 मार्च को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से दोपहर 1 बजकर 43 मिनट तक होगा। इस मुहूर्त में पूजा करने से आपकी सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान गणेश को बुद्धि का देवता भी माना जाता है। इसी कारण से यह व्रत छात्रों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
सनातन धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत करने से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक है। यह मान्यता है कि शुभ तिथि और मुहूर्त में किया गया कार्य अवश्य सफल होता है। इसलिए अधिकतर लोग गृह प्रवेश से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का ख्याल जरूर रखते हैं।
वाहन खरीदना एक महत्वपूर्ण काम होता है, जहां आपका एक सपना वास्तविकता में बदलने वाला होता है। हिंदू धर्म में जिस तरह लोग मांगलिक कार्य से पहले शुभ मुहूर्त देखते हैं, उसी तरह संपत्ति, वाहन, भूमि खरीदने से पहले भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है। मान्यता है कि शुभ समय में वाहन खरीदने से गाड़ी के मालिक के जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
जमीन या संपत्ति खरीदना एक महत्वपूर्ण निर्णय है जिसमें आपका भविष्य और वित्तीय स्थिरता शामिल है। ऐसे में शुभ मुहूर्त का चयन करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह न केवल आपके निवेश को सफल और लाभदायक बनाता है बल्कि आपके जीवन में स्थिरता और सुख-शांति भी लाता है।
साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। नामकरण संस्कार, जिसमें बच्चे को उसका पहला नाम दिया जाता है। यह हिंदू धर्म में 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है।