मन तड़पत हरि दर्शन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
विनती करत हूँ रखियो लाज
॥ मन तड़पत हरि...॥
तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
हमरी ओर नज़र कब होगी
सुन मोरे व्याकुल मन का बात
॥ मन तड़पत हरि...॥
बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ
दीजो दान हरी गुन गाऊँ
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज
॥ मन तड़पत हरि...॥
मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दुख भंजन मोरा साथ न छोड़ो
मोहे दरसन भिक्षा दे दो आज, दे दो आज
॥ मन तड़पत हरि...॥
मन तड़पत हरि दर्शन को आज
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज
विनती करत हूँ रखियो लाज
कावड़ उठाले ध्यान,
शिव का लगाले ॥
कावड़िया ले चल गंग की धार ॥
लल्ला की सुन के मै आयी,
यशोदा मैया देदो बधाई,
मैं माँ अंजनी का लाला श्री राम भक्त मतवाला,
मेरा सोटा चल गया रे बजा डंका राम का,