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खाटू का राजा मेहर करो(Khatu Ka Raja Mehar Karo)

खाटू का राजा मेहर करो(Khatu Ka Raja Mehar Karo)

थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


था बिन नाथ अनाथ की जी,

कुण राखेलो टेक,

म्हासा थाके मोकला जी,

म्हासा थाके मोकला जी,

थासा तो म्हारे थे ही एक,

खाटू का राजा मेहर करो ।


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


जाणु हूँ दरबार में थारे,

घणी लगी है भीड़,

थारे बिन किस विध मिटेगी,

थारे बिन किस विध मिटेगी,

भोले भगत की या पीर,

खाटू का राजा मेहर करो ।


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


ज्यूँ-ज्यूँ बीते टेम हिये को,

छुट्यो जावे धीर,

उझलो आवे कालजो जी,

उझलो आवे कालजो जी,

नैणा सू टप-टप टपके नीर,

खाटू का राजा मेहर करो ।


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


साथी म्हारे जिव का थे,

थासे छानी ना,

जान बूझ के मत तरसावो,

जान बूझ के मत तरसावो,

हिवड़े से लेवो लिपटाए,

खाटू का राजा मेहर करो ।


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


ध्रुपद सुता की लज्जा राखी,

गज को काट्यो फंद,

सुणकर टेर देर मत किजो,

सुणकर टेर देर मत किजो,

श्याम बिहारी ब्रजचंद,

खाटू का राजा मेहर करो ।


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


थासु विनती कराहाँ बारंबार,

सुनो जी सरकार,

खाटू का राजा मेहर करो ॥


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कल्पवास के 21 नियम

13 जनवरी 2025, से शुरू हुआ महाकुंभ हिंदू धर्म में आस्था, विश्वास और श्रद्धा का अनूठा संगम है। महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम पर साधु-संत, संन्यासी, भक्त और श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही इस समय कई लोग कल्पवास भी करते हैं।

संगम नहीं जा पाए तो ऐसे ले कुंभ का पुण्य लाभ

महाकुंभ मेले की भव्यता की बातें चारों ओर हो रही हैं। कड़ाके की ठंड होने के बावजूद लाखों की संख्या में लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर रहे हैं। मान्यता है कि कुंभ में नदी स्नान से मनुष्यों के सारे पाप धुल जाते हैं।

कुंभ नगरी में स्नान के लाभ

अमावस्या एक ऐसा दिन होता है जब ना तो चंद्रमा क्षय होता है ना ही उदित। दरअसल, अमावस्या सूर्य और चंद्र के मिलन का समय होता है। चंद्रमा हमारे मन मस्तिष्क पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है।

महाकुंभ के संन्यासी

संगम तट पर लगे महाकुंभ में लाखों साधु-संत अपनी धुनी रमाए प्रभु की भक्ति में लीन हैं। इनमें नागा साधु, अघोरी, साधु, संत शामिल हैं। इन संतों में कई तरह के संन्यासी आए हुए हैं। इन्हें लेकर कई तरह के रहस्य भी लोगों के मन में हैं।

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