कालो के काल है,
मृत्यु के है वो राजा,
भस्मी लगाएं बाबा,
उज्जैन के वो राजा ॥
दीदार करना चाहूं,
दर्शन को प्यासी अखियां,
चरणों में रहना चाहूं,
बस दिल की एक आशा,
उज्जैन में भी आऊ,
दर्शन भी करना चाहूं,
महाकाल की वो महिमा,
सबको सुनाना चाहूं ॥
मेरे दिल की एक आशा,
तेरे दर पे मरना चाहूं,
मरने के बाद भोले,
भस्मी तुम्हें लगाऊं,
उज्जैन में भी आऊ,
दर्शन भी करना चाहूं,
महाकाल की वो महिमा,
सबको सुनाना चाहूं ॥
महाकाल तुमको प्यारी,
वह भस्म आरती है,
मुर्दे की राख से ही,
वह होती आरती है,
‘सत्यम’ को वर दे बाबा,
बस दिल से तुझको चाहूँ,
महाकाल भस्म आरती,
मैं भी तो करना चाहूँ ॥
कालो के काल है,
मृत्यु के है वो राजा,
भस्मी लगाएं बाबा,
उज्जैन के वो राजा ॥
विश्व के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित षटतिला एकादशी के व्रत का सनातन धर्म के लोगों के लिए विशेष महत्व है।
भगवान अय्यप्पा हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जो विशेष रूप से केरल राज्य में पूजे जाते हैं। वे विष्णु और शिव के संयुक्त रूप माने जाते हैं। अय्यप्पा के बारे में कई कथाएं हैं, जो विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और धार्मिक कथाओं में बताई जाती हैं।
भगवान चित्रगुप्त हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें कर्मों का लेखाकार माना जाता है। वे सभी मनुष्यों के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और मृत्यु के बाद व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
माघ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा में तिल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।