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षटतिला एकादशी व्रत उपाय

षटतिला एकादशी व्रत उपाय

Shattila Ekadashi Ke Upay: षटतिला एकादशी व्रत पर जरूर करें ये उपाय, दूर होंगी सभी मुश्किलें


माघ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा में तिल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। तिल में धन की देवी महालक्ष्मी का वास माना जाता है। मान्यता है कि इससे ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान कृष्ण को फल-फूल, गुड़, और तिल की मिठाई चढ़ाकर पूजा की जाती है। तो आइए, इस आर्टिकल में षटतिला एकादशी व्रत के दिन किए जाने वाले विशेष उपायों को विस्तार से जानते हैं। 


जानिए तिल से जुड़ी मान्यता 


धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के पसीने से उत्पन्न तिल का छह प्रकार से प्रयोग किया जाता है। पद्म पुराण के अनुसार, मुख्य रूप से इस दिन उपवास करके तिल से स्नान, दान, तर्पण और पूजा की जाती है। इससे भक्त के लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं। 


षटतिला एकादशी पर करें यह उपाय 


  1. तिल का करें दान:- शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति तिलों का दान करता है, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी के दिन जितने तिलों का दान किया जाता है, उतने ही पाप नष्ट हो जाते हैं और उतने ही सालों के लिए स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है। इस दिन काले तिल का दान करना भी अच्छा है क्योंकि ऐसा करने से शनि दोष शांत होता है।
  2. गरीबों को कराएं भोजन:- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के दिन सुबह उठकर अपने नहाने के पानी में गंगाजल और तिल मिलाएं। पवित्र स्नान के बाद भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और वहां पर विधि अनुसार पूजा करें। पूजा में भूलकर भी चावल को शामिल न करें। मंदिर से निकलते समय गरीबों को भोजन कराएं।
  3. तुलसी की करें पूजा:- षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी से जुड़े विशेष उपाय किए जाते हैं। तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और पूजनीय माना गया है। यह ना सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य और वातावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करना और उसे श्रृंगार सामग्री अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा करें। तुलसी को गंगाजल से स्नान कराएं और उसपर हल्दी, रोली और चंदन लगाएं। तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना भी शुभ माना गया है।
  4. आर्थिक उन्नति हेतु उपाय:- अगर आप आर्थिक दिक्कतों से परेशान हैं तो षटतिला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में विष्णु भगवान की पूरी श्रद्धा के साथ विधिवत उपासना करें और 1 पान के पत्ते में ॐ विष्णवे नमः लिखकर भगवान के चरणों में अर्पित कर दें। अगले दिन इस पत्ते को पीले रंग के कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रख दें। षटतिला एकादशी पर श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना पुण्यदायी माना जाता है।
  5. जलाएं घी का दीपक:- षटतिला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने और परिक्रमा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर की जा सकती है।

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महाकुंभ में किसकी की पूजा होती है

सनातन धर्म में कुंभ मेले का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कुंभ निकला था, उसके अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गई थीं।

महाकुंभ अक्षयवट पूजा

13 जनवरी 2025 से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। महाकुंभ न केवल भारत में प्रसिद्ध है बल्कि विदेशों में भी इसका आकर्षण देखने को मिलता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है।

महाकुंभ स्नान के नियम क्या है

महाकुंभ में शाही स्नान के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। महाकुंभ में स्नान करने से मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। शाही स्नान में सबसे पहले साधु-संत स्नान करते हैं उसके बाद ही आम तीर्थयात्री गंगा में डुबकी लगाते हैं।

महाकुंभ 2025 के शुभ संयोग

प्रयागराज में बहुत जल्द महाकुंभ का आगाज होने वाला है। इसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी वहीं इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा।

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