हम को मन की शक्ति देना,
मन विजय करें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
भेदभाव अपने दिल से,
साफ कर सकें ।
दोस्तों से भूल हो तो,
माफ कर सकें ।
झूठ से बचे रहें,
सच का दम भरें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
हम को मन की शक्ति देना,
मन विजय करें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
मुश्किलें पड़े तो हम पे,
इतना कर्म कर ।
साथ दे तो धर्म का,
चलें तो धर्म पर ।
खुद पे हौसला रहे,
बदी से ना डरें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
हम को मन की शक्ति देना,
मन विजय करें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
हम को मन की शक्ति देना,
मन विजय करें ।
दूसरों की जय से पहले,
खुद को जय करें ।
धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों के दौरान हिंदू धर्म में शंख बजाना एक परंपरा है जो युगों-युगों से चली आ रही है। शंख हमारे लिए सिर्फ एक वाद्ययंत्र नहीं हमारी धार्मिक संस्कृति और प्रथाओं का हिस्सा है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और पौराणिक इतिहास का प्रतीक है। इसका संबंध समुद्र मंथन की उस घटना से है, जिसमें देवताओं और दैत्यों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया था।
हिंदू धर्म में विवाह को एक विशेष संस्कार माना गया है, जो 16 संस्कारों में से एक है। यह ना सिर्फ सामाजिक बंधन है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।