होली खेलन आयो श्याम
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
कोरे-कोरे कलश मँगाओ,
रंग केसर को घोरो री ।
मुख ते केशर मलो,
करो याहि कारे से गोरो री ॥
रंग-बिरंगो करो आज,
याहि कारे से गोरो री ॥
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
पास-पड़ौसिन बोलि,
याहि आँगन में घेरो री ।
पीताम्बर लेउ छीन,
याहि पहराय देउ लहँगो री ॥
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
हरे बाँस की बाँसुरिया,
याहि तोड़-मरोड़ी री ।
तारी दे दे याहि नचावो,
अपनी ओरो री ॥
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
चन्द्रसखी की यही विनती,
करे निहोरो री ।
हा हा खाय पड़े जब,
पैया तब याहि छोरो री ॥
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
होली खेलन आयो श्याम
होली खेलन आयो श्याम,
आज याहि रंग में बोरो री ॥
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि यानी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजा के दौरान अगर भगवान शिव के महामंत्रों का जाप किया जाए, तो इससे मृत्यु का भय दूर हो जाता है I
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का शुभ अवसर माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। यह दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए शुभ माना जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।