हे नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
अब तक जो निभाया है,
आगे भी निभा देना,
आगे भी निभा देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना ॥
लाचार हूँ मैं भोले,
इस मन से हारा हूँ,
विश्वास यही है मुझे,
मैं तेरा प्यारा हूँ,
कभी टूटे ना ये रिश्ता,
ये ध्यान सदा रखना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
जप तप ना जानू मैं,
ना पूजा पाठ तेरा,
बस तेरी दया पर ही,
चलता है गुजर मेरा,
ये दया प्रभु तेरी,
हरदम रखते रहना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
मैं तेरे प्यार की,
छाया में रहूँ हरदम,
कभी आकर घेरे ना,
दुनिया का कोई भी गम,
तेरे नाम की मस्ती का,
बाबा जाम पिला देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
मैं नाथ तुम्हे कहता,
तुम सर्वस्व हो मेरे,
‘सांवर’ बस तेरा है,
गुणगान करे तेरे,
मुझे अंत समय में तू,
तेरी गोद बिठा लेना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
मेरी बिगड़ी बना देन ॥
हे नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना,
अब तक जो निभाया है,
आगे भी निभा देना,
आगे भी निभा देना,
हें नाथ दया करके,
मेरी बिगड़ी बना देना ॥
हरि सुंदर नंद मुकुंदा,
हरि नारायण हरि ॐ
श्रीकृष्ण पूजन हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें भक्ति और पवित्रता का संगम होता है। इसे विशेषकर जन्माष्टमी या किसी शुभ अवसर पर किया जाता है।
उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
इस वर्ष में मंगलवार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।