दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
विषधर तेरे गले में लिपटे,
अंग भभूत रमाए,
तेरे रूप को देख के जोगी,
लाल मेरा डर जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
सुन बाते मैया की भोले,
मंद मंद मुस्काए,
जिससे सारा जगत है डरता,
उसको कौन डराए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
हो उदास शिव भोला शम्भु,
अपने कदम बढ़ाए,
शिव को जाते देख कन्हैया,
रो रो कर चिल्लाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
नन्द लाल का रोना सुनकर,
बोली मात यशोदा,
नजर लगा दी मेरे लाल को,
हाय हाय अब क्या होगा,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
इतना सुनकर मात यशोदा,
मोहन को ले आई,
दर्शन किये हरी के शिव ने,
‘राजू’ ख़ुशी मनाई,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
दिखाऊं कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए,
नजर लग जाए रे,
जुलम होय जाए,
दिखाऊँ कोनी लाड़लो,
नजर लग जाए ॥
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली के रूप में मनाई जाती है। इस दिन झिलमिलाते दीपों की ज्योति और हर्षोल्लास के साथ माता लक्ष्मी की विशेष पूजन की जाती है।
अष्ट लक्ष्मी में गज लक्ष्मी का व्रत और पूजन दिवाली के समान महत्वपूर्ण है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। इस दिन महालक्ष्मी देवी अपार धन संपत्ति और खुशहाल जीवन का विशेष वरदान देती हैं।
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