Logo

माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है श्री सूक्त

माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है श्री सूक्त

दीवाली 2024: माता लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है श्री सूक्त, पाठ करने से तुरंत प्रसन्न होती हैं विष्णुप्रिया


दीपावली के पावन पर्व पर माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लोग विधि विधान से उनकी पूजन करते हैं। विष्णुप्रिया माता की आराधना करने से जीवन में प्रसन्नता, सुख, शांति, धन, वैभव, पद, प्रतिष्ठा, मान, सम्मान और ख्याति के साथ भक्ति में भी इजाफा होता है। ऐसे में यदि आप जीवन में किसी परेशानी या आर्थिक तंगी के साथ दरिद्रता से परेशान है तो भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं दीपावली पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक विशेष उपाय….


दीवाली पर करें श्रीसूक्त का पाठ 


मां लक्ष्मी की शीघ्र कृपा पाने हेतु आप ऋग्वेद से लिए गए श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। वैसे तो श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ रोजाना किया जा सकता है लेकिन यदि रोजाना समय ना हो तो शुक्रवार को श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करना काफी लाभप्रद हो सकता है। विवाह के समय, गृह प्रवेश के समय पर भी इसका पाठ किया जा सकता है। इसके अलावा दीपावली के दिन श्री सूक्त का पाठ जरूर करना चाहिए क्योंकि श्री सूक्त माता का अत्यंत प्रिय स्त्रोत है और इसके पठन से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं।


ये है श्री सूक्त की पाठ विधि


  • इस दीवाली अपनी दैनिक क्रियाएं पूर्ण कर स्नान आदि करें और अपने पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की एक तस्वीर या श्री यंत्र रखें।
  • तत्पश्चात शुद्ध घी का एक दीपक जलाएं। होली-कुमकुम का तिलक करके, धूप दीप दिखाएं और ध्यान लगाकर मां लक्ष्मी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु प्रार्थना करें।
  • याद रहे इस दौरान आपने सफेद या पीले साफ वस्त्र पहने हों, आपके आसन का रंग लाल या गुलाबी हो तो अति उत्तम।
  • पूजन सामग्री में मिठाई, फल, कमल का फूल, गुलाब के फूल अवश्य शामिल करें।
  • इसके बाद श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ शुरू करें।
  • पूर्ण विश्वास रखें क्योंकि श्री सूक्त स्त्रोत का पूर्ण निष्ठा नियम के साथ किया गया पाठ दरिद्रता को दूर कर देता है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ सुबह उठकर, संध्या के समय या इष्ट देव की पूजा के समय भी किया जा सकता है। अधिकांशत: श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ संध्या के समय ही किया जाता है।
  • श्री सूक्त में कुल 15 मंत्र हैं, सोहलवें मंत्र में फल श्रुति है। बाद में 11 मंत्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध हैं।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने के बाद मां लक्ष्मी की आरती करें।
  • मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करें, ऐसा करने से मां लक्ष्मी सदैव अपनी कृपा आपके परिवार पर बनाए रखती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करते समय जल्दबाजी न करें । गलत उच्चारण से पाठ ना करें।


श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने के लाभ 


  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने से पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
  • घर का माहौल खुशियों से भरा होता है। सदैव आनंद की अनुभूति होती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने से आप पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है, घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने से सुख, समृद्धि आती है, वैभव में वृद्धि होती है और घर में शांति बनी रहती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है, सामाजिक मान सम्मान में वृद्धि होती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ करने से कारोबार में वृद्धि, नौकरी पैसा में तरक्की होती है।
  • श्री सूक्त स्त्रोत का 16 बार पाठ करने पर विशेष सफल प्राप्त होता है, मां लक्ष्मी की कृपा से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • श्री सूक्त स्त्रोत ऋग्वेद प्रदत मां लक्ष्मी की आराधना करने हेतु उनको समर्पित एक विशेष स्त्रोत है इस स्त्रोत के पाठ से यश, ऐश्वर्य मैं वृद्धि, समस्त कार्यों में श्रेष्ठ सफलता, अकस्मात धन लाभ होने लगता है।


यह भी ध्यान देने योग्य 


इसके हर एक मंत्र में एक गहन रहस्य है, इस दीपावली जो व्यक्ति अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान है और अनेक प्रयत्न करने के बाद भी सफल नहीं हो पा रहा है, तो वह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी विशेष कृपा पाने हेतु ऋग्वेद वर्णित श्री सूक्त स्त्रोत का पाठ अवश्य करें। माता लक्ष्मी आपकी सभी मनोकामनाएं आवश्यक पूर्ण करेंगी, यदि आप संस्कृत में इसका पाठ नहीं कर पाते हैं तो आप इसके हिंदी अनुवाद का भी पाठ कर सकते हैं। 


श्री सूक्त स्त्रोत


ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥ (1)

ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम॥ (2 )
 
ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम।
श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥ (3)
 
ॐ कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्।
पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम्॥ (4 )

ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्।
तां पद्मिनीमी शरणं प्रपधे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥ (5 )
 
ॐ आदित्यवर्णे तप्सोअधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्वः।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याष्च बाह्य अलक्ष्मीः॥ (6 )
 
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह।
प्रदुर्भूतोsस्मि राष्ट्रेsस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में ॥ (7 )
 
 क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठमलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद में गृहात्॥ (8 )
 
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यापुष्टां करीषिणीम्।
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप हवये श्रियम्। (9 )
 
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रियं श्रयतां यशः॥ (10 )
 
कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम।
श्रियम वास्य मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्॥ (11 )
 
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस् मे गृहे।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥ (12)
 
आद्रॉ पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पदमालिनीम्।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (13)
 
आद्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (14 )
 
 तां म आवह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योsश्रान विन्देयं पुरुषानहम्॥ (15 )
 
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्।
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्॥ (16 )

........................................................................................................
हर बात को भूलो मगर.. (Har Baat Ko Tum Bhulo Bhale Maa Bap Ko Mat Bhulna)

हर बात को भूलो मगर,
माँ बाप मत भूलना,

हर देश में तू, हर भेष में तू - प्रार्थना (Har Desh Me Tu Har Bhesh Me Tu)

हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके (Har Ghadi Yaad Teri Aaye Sautan Banke)

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,
मैं फिरूँ श्याम तेरे नाम की जोगन बनके ॥

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang