इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता हैं 12 नवंबर को मनाई जाएगी। दांपत्य जीवन और पारिवारिक सुख शांति, धन वैभव वृद्धि एवं पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले इस दिन एकादशी का व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। भगवान लक्ष्मी नारायण की सच्चे मन से की गई पूजा का फल भी भक्तों को प्राप्त होता है। मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए देव उठनी एकादशी पर कुछ कार्य करने योग्य हैं साथ ही कुछ ऐसे काम भी है जिन्हें इस पवित्र दिन नहीं करना चाहिए। भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताते हैं कि देव उठनी एकादशी पर धन- दौलत, यश ऐश्वर्य और सुख समृद्धि में वृद्धि के लिए क्या करें और क्या ना करें।
इस बार एकादशी व्रत का पारण (तिथि उत्तरायण) 13 नवंबर को सुबह 06 बजकर 42 मिनट से लेकर 08 बजकर 51 मिनट के मध्य पारण कर सकते है।
इस दिन साधक ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर दैनिक कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करे उसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करे और भगवान विष्णु, धन की देवी माता लक्ष्मी का स्मरण करें। तुलसी पूजन करें, गौ माता का पूजन करें, भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं। भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी कि चरण आकृति बनाएं, हल्दी व चंदन का तिलक लगाएं, उसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला, मिठाई, फल और विशेष तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और निर्जल व्रत रखें। तिथी परायण के बाद सुबह पूजा पाठ करने के पश्चात पारण समय में व्रत खोले। द्वादशी के दिन व्रत पारण पर मंदिर या गरीब लोगों में अन्न, धन, गर्म वस्त्र का दान करना चाहिए।
प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां पूरी कर ली गई है। 12 जनवरी से इसकी शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग कल्पवास के लिए प्रयागराज पहुंचेंगे और माघ का महीना गंगा किनारे बिताएंगे।
हिंदू धर्म में कल्पवास की परंपरा मोक्ष और शांति का साधन है। यह माघ महीने में गंगा, यमुना , सरस्वती के संगम पर संयमित जीवन जीने की परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है।
सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान या फिर भोजन करने से पहले भगवान को भोग लगाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि भगवान को दिल से जो भी खिलाया जाए, तो वह उतने ही प्यार से उसे ग्रहण करते हैं।
विवाह को हिन्दू धर्म में पवित्र और अटूट बंधन माना गया है। विवाह के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म हल्दी की होती है।