जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता,
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
रज से रक्षा कर भव त्राता।
जय जय तुलसी माता।
बटु पुत्री है श्यामा, सुर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से, सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का, तुम से अजब नाता।
जय जय तुलसी माता।
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता
वैसे तो श्री तुलसी मैया की आरती करने के लिए सभी दिन शुभ माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों को विशेष माना जाता है-
इसके अलावा, आप श्री तुलसी मैया की आरती किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं, जैसे कि:
आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। आरती के पहले तुलसी माता के चित्र या तुलसी पौधे की पूजा करें। पूजा के समय धूप, दीप, नैवेद्य, और फल-फूल का इस्तेमाल किया जाता है। आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।
वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में चैत्र और वैशाख माह रहेगा। इस दौरान दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आएंगे—कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी।
कामदा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।