Logo

देवउठनी एकादशी के बाद के शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद के शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद शुरू होंगे सारे शुभ और मांगलिक कार्य, जानें शुभ मुहूर्त


देवउठनी एकादशी को देवोत्थान और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। जिसे चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास के दौरान सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य जैसे:- शादी, गृह प्रवेश, यज्ञ इत्यादि वर्जित रहते हैं। देवउठनी एकादशी के साथ ही इन कार्यों पर लगा प्रतिबंध समाप्त हो जाता है और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। तो आइए इस आलेख में जानते हैं इस अवसर का महत्व, पूजा विधि और विवाह के शुभ मुहूर्त।


देवउठनी एकादशी महत्व समझिए


मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योगनिद्रा में चले जाते हैं जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। चार महीने बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वे जागते हैं जिसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी कहते हैं। भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी प्रकार के शुभ कार्यों की शुरुआत होती है और विशेष रूप से तुलसी विवाह के साथ विवाह उत्सवों का दौर भी प्रारंभ होता है। देवउठनी एकादशी को पूजा करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति का भी विशेष महत्व है।


देवउठनी एकादशी की पूजा विधि


1. प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र का गंगाजल से अभिषेक करें।

3. पीले वस्त्र अर्पित करें और धूप-दीप जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

4. प्रसाद में विशेष रूप से पंचामृत, फल और मिठाई चढ़ाएं।

5. शाम को तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं और तुलसी विवाह का आयोजन करें।

6. रात में जागरण कर भगवान विष्णु की आराधना करें और अगले दिन व्रत का पारण करें।


विवाह के शुभ मुहूर्त 2024


देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर और दिसंबर में विवाह के कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। आइए जानते हैं इन महीनों में होने वाले विवाह के प्रमुख तिथियों के बारे में।


नवंबर 2024 के विवाह मुहूर्त


  • 12 नवंबर (मंगलवार): इस दिन देवउठनी एकादशी का पर्व है और भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। यह दिन विवाह के लिए अत्यंत शुभ है।
  • 13 नवंबर (बुधवार): इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन होता है, जिसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
  • 15 नवंबर (मंगलवार): कार्तिक पूर्णिमा का संयोग है जो मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है।
  • 16 नवंबर (शनिवार): रोहिणी नक्षत्र का संयोग इस दिन को विवाह के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • 17 नवंबर (रविवार): यह दिन भी विवाह के लिए शुभ माना गया है।
  • 18 नवंबर (सोमवार): मृगशिरा नक्षत्र का संयोग है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
  • 22 नवंबर (शुक्रवार): मघा नक्षत्र का संयोग विवाह के लिए इस दिन को शुभ बनाता है।
  • 25 नवंबर (सोमवार): इस दिन एकादशी है और विवाह के लिए उपयुक्त माना जाता है।
  • 28 नवंबर (गुरुवार): स्वाती नक्षत्र का संयोग इस दिन को विशेष बनाता है।


दिसंबर 2024 के विवाह मुहूर्त


  • 4 दिसंबर (बुधवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और चतुर्थी तिथि का संयोग इस दिन को विवाह के लिए अनुकूल बनाता है।
  • 5 दिसंबर (गुरुवार): उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और पंचमी तिथि का संयोग विवाह के लिए शुभ है।
  • 9 दिसंबर (सोमवार): इस दिन उत्तर भाद्रपद नक्षत्र और नवमी तिथि पड़ रही है, जो विवाह के लिए अच्छा समय है।
  • 10 दिसंबर (मंगलवार): रेवती नक्षत्र और एकादशी तिथि का योग इस दिन को मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त बनाता है।
  • 14 दिसंबर (शनिवार): पूर्णिमा तिथि के कारण यह दिन भी विवाह के लिए अत्यंत शुभ है।
........................................................................................................
मौनी अमावस्या पर सबसे बड़ा शाही स्नान

महाकुंभ के धार्मिक त्यौहार में श्रद्धालुओं और साधु संतों का जमावड़ा नजर आने वाला है। इस मौके पर लाखों श्रद्धालु और साधु संत प्रयागराज में एकत्रित होंगे और आस्था की डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ के दौरान कुल छह शाही स्नान होंगे, जिनमें से पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होगा।

कुंभ में कल्पवास का महत्व

महाकुंभ मेला हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में यह दिव्य आयोजन प्रयागराज में होगा, जो लगभग 30 से 45 दिनों तक चलेगा।

पेशवाई का इतिहास

महाकुंभ की शुरुआत में अब केवल 15 दिन से भी कम का समय बचा है। इससे पहले, विभिन्न अखाड़े प्रयागराज में अपनी पेशवाई निकाल रहे हैं और नगर में प्रवेश कर रहे हैं। कई अखाड़ों ने अपनी पेशवाई पूरी कर ली है, जिन्हें देखने के लिए प्रयाग का वातावरण उमड़ पड़ा है।

कौन हैं महाकुंभ मेले के रक्षक वेणी माधव

प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। 13 जनवरी से कल्पवासी भी आने लगेंगे, और यह महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान संगम किनारे करोड़ों श्रद्धालु 45 दिनों तक कल्पवास करेंगे।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang