दर्शन को अखियाँ प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी,
मुझ निर्धन के घर आँगन में,
कब आवन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
मेरे घर में तुम्हे बिठाने को,
ना चौकी ना सिंहासन है,
ना दीपक ना बाती है,
ना अक्षत है ना चंदन है,
श्रद्धा के फूलों से तेरा,
अभिनन्दन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
सावन भादों दोनों बीते,
और बीती होली दिवाली है,
पर मुझे देखने नहीं मिली,
तेरी सूरत भोली भाली है,
ना जाने किस दिन अखियों को,
पग दर्शन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
दर्शन को अखियाँ प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी,
मुझ निर्धन के घर आँगन में,
कब आवन होगा श्याम धणी,
दर्शन को अखियां प्यासी है,
कब दर्शन होगा श्याम धणी ॥
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हम भगवान शिव की महिमा और उनकी प्रिय चीजों के बारे में बात करने जा रहे हैं। भगवान शिव को आशुतोष कहा जाता है, जिसका अर्थ है तुरंत और तत्काल प्रसन्न होने वाले देवता।
सनातन धर्म में मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व माना जाता है। धर्म शास्त्रों में मंत्र जाप और स्तोत्र के नियमित पाठ के द्वारा भगवान को प्रसन्न करने का विधान है।
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि यानी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजा के दौरान अगर भगवान शिव के महामंत्रों का जाप किया जाए, तो इससे मृत्यु का भय दूर हो जाता है I
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का शुभ अवसर माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।