चित्रकूट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,
राम मेरे आ जाओ,
राम मेरे आ जाओ,
चित्रकुट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,
राम मेरे आ जाओ ॥
अपने राम जी को,
कहाँ मैं बिठाऊँ,
कहाँ मैं बिठाऊँ,
टुटी फूटी खाट खाट प,
बिछया पुराना टाट,
राम मेरे आ जाओ,
॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥
अपने राम जी को,
क्या मैं खिलाऊँ,
क्या मैं खिलाऊँ,
छोटे छोटे पेड़ पेड़ प,
लगे सुनहरी बेर,
राम मेरे आ जाओ,
॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥
अपने राम को,
कया मैं पिलाऊं,
कया मैं पिलाऊं,
कपला गाढा दुध,
दुध में पड़ी मलाई खुब,
राम मेरे आ जाओ,
॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥
अपने राम जी को,
कहां मैं झुलाऊँ,
कहां मैं झुलाऊँ,
छोटी डाली आम आम प,
झूले सीता राम,
राम मेरे आ जाओ,
॥ चित्रकुट के घाट घाट..॥
अपने राम जी को,
कैसे मैं रिझाऊँ,
कैसे मैं रिझाऊँ,
दीन हीन मोहे जान,
ना ही कोई भक्ति ज्ञान,
राम मेरे आ जाओ,
॥ चित्रकुट के घाट घाट...॥
चित्रकूट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,
राम मेरे आ जाओ,
राम मेरे आ जाओ,
चित्रकुट के घाट घाट पर,
शबरी देखे बाट,
राम मेरे आ जाओ ॥
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश और व्यापार शुरू करने के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है।
हिंदू धर्म में अनेक संत और महापुरुष हुए हैं, लेकिन आदि गुरु शंकराचार्य का स्थान उनमें सर्वोच्च है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है और हर साल वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन उनकी जयंती श्रद्धा और भक्ति से मनाई जाती है।