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अक्षय तृतीया पर शादी करना शुभ

अक्षय तृतीया पर शादी करना शुभ

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर विवाह करना सबसे ज्‍यादा शुभ, मिलेगा विशेष आशीर्वाद 


शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश और व्यापार शुरू करने के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो जीवन में बाधाओं का सामना कर रहे हैं।


शादी के लिए अक्षय तृतीया की तिथि है अत्यंत शुभ

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए कार्यों का फल अनंत काल तक बना रहता है। इसीलिए विवाह भी अगर इस दिन किया जाए, तो दांपत्य जीवन में हमेशा प्रेम, सौभाग्य और खुशियां रहती हैं। साथ ही, कई बार जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के कारण विवाह में देरी होती है। ऐसे लोगों के लिए अक्षय तृतीया का दिन वरदान का रूप माना जाता है, क्योंकि इस दिन विवाह करने से बाधाएं दूर होती हैं और जल्द ही सुखमय वैवाहिक जीवन भी शुरू हो जाता है।  


अक्षय तृतीया पर बेमेल कुंडलियों के भी दोष होते हैं समाप्त 

जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें विवाह में बाधाओं और दाम्पत्य जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन विवाह करने से मंगल दोष के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण बेमेल कुंडलियों के भी दोष समाप्त हो सकते हैं। इसीलिए जिनकी कुंडली में मंगल दोष है, उनके लिए अक्षय तृतीया पर विवाह अत्यंत शुभ माना गया है।


अक्षय तृतीया की तिथि पर होती है ज्योतिष बाधाएं समाप्त

अक्षय तृतीया के दिन उन लोगों को विशेष रूप से विवाह करने की सलाह दी जाती है, जिनकी कुंडली में विवाह संबंधित कालसर्प दोष या गुरु-शनि का प्रतिकूल योग होता है। इसके अलावा, जिन लोगों का विवाह लंबे समय से टल रहा है या जिनके रिश्तों में बार-बार रुकावटें आ रही हैं, उनके लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। 

साथ ही, संतान सुख में बाधा आने वाली कुंडलियों के लोगों के लिए भी यह दिन विवाह हेतु विशेष फलदायी होता है। कुल मिलाकर, जिनके जीवन में वैवाहिक सुख में कोई भी प्रकार की ज्योतिषीय बाधा हो, उनके लिए अक्षय तृतीया पर विवाह करना अत्यंत शुभ और मंगलकारी होता है।

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महाकुंभ का पहला शाही स्नान

हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन कहे जाने वाले महाकुंभ में अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है। सभी 13 प्रमुख अखाड़े प्रयागराज पहुंच भी चुके हैं। और पहले शाही स्नान के लिए तैयार है।

महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान

महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।

महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान

शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

पूजा में क्यों करते हैं अक्षत का प्रयोग

अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।

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