दे दे थोड़ा प्यार मैया,
तेरा क्या घट जायेगा,
ये बालक भी तर जायेगा,
दे दे थोड़ा प्यार
दे दिया तुमने,
सबको सहारा माँ,
जो द्वारे आया है,
भर दिया दामन,
उसका खुशी से माँ,
जो अर्जी लाया है,
मुझको देने से,
मुझको देने से खजाना,
कम नही हो जायेगा,
ये बालक भी तर जायेगा
दे दे थोड़ा प्यार ॥
है पुराना माँ,
रिश्ता हमारा जो,
उसे तुम याद करो,
करदे कृपा ओ माँ,
बालक तुम्हारा हूँ,
मेरे सिर पर हाथ धरो,
प्यार का रिश्ता,
प्यार का रिश्ता हमारा,
टूटने ना पायेगा,
ये बालक भी तर जायेगा,
दे दे थोड़ा प्यार ॥
कश्ती मेरी ये माँ,
तेरे हवाले है,
इसे तुम पार करो,
गर दे दिया मुझको,
तूने किनारा माँ,
तो ये विश्वास करो,
ये तेरा दरबार,
ये तेरा दरबार जय जयकारो,
से गूँज जायेगा,
ये बालक भी तर जायेगा,
दे दे थोड़ा प्यार ॥
दे दे थोड़ा प्यार मैया,
तेरा क्या घट जायेगा,
ये बालक भी तर जायेगा,
दे दे थोड़ा प्यार ॥
हमारी चेतना के भीतर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं।
नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2024 में इस बार की सभी नौ तिथियों में दो तिथियों के घटने बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। इस बार तिथि भेद के चलते नवरात्र में पंचमी तिथि दो दिन विद्यमान रहेगी, वहीं अष्टमी और नवमी तिथि एकसाथ होगी।
प्रतिमा साल भर टेढ़ी मुद्रा में रहती है। राम नवमी के दिन यह प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी दिन देवी की आरती और पूजा लाठियों से की जाती है।