हिंदू धर्म में अनेक संत और महापुरुष हुए हैं, लेकिन आदि गुरु शंकराचार्य का स्थान उनमें सर्वोच्च है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है और हर साल वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन उनकी जयंती श्रद्धा और भक्ति से मनाई जाती है। इस साल आदि शंकराचार्य जयंती 2 मई को मनाई जाएगी।
आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में केरल के कालड़ी गांव में एक नम्बूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु और माता का नाम आर्यम्बा था। जन्म से ही वे एक अनोखे मनुष्य थे। ऐसा कहा जाता है कि मात्र 8 साल की उम्र में उन्होंने वेद, उपनिषद, पुराण तथा अन्य हिंदू ग्रंथों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया था। फिर बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने संन्यास धारण कर भारत की यात्रा आरंभ की और 32 वर्ष की आयु में समाधि लिया था।
आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत के चार कोनों में चार प्रमुख मठों की स्थापना की थी, जिससे सनातन धर्म की एकता और अखंडता बनी रहें।
इन मठों का उद्देश्य वेदों के ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना, साधुओं को मार्गदर्शन देना और धर्म की रक्षा करना है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन से पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम का उत्सव मनाता है। इस त्योहार के दौरान, एक पारंपरिक प्रथा है जिसमें गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।
होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे रंगों और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन कहा जाता है।
होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और भक्त प्रह्लाद तथा होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।