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भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर (Bhole Ke Hatho Mein Hai Bhakto Ki Dor)

भोले के हाथों में, है भक्तो की डोर (Bhole Ke Hatho Mein Hai Bhakto Ki Dor)

भोले के हाथों में,

है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


मर्जी है इसकी हमको,

जैसे नचाए,

जितनी जरुरत उतना,

जोर लगाए,

ये चाहे जितनी खींचे,

हम काहे मचाए शोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


भोले तुम्हारे जब से,

हम हो गए है,

गम जिंदगानी के,

कम हो गए है,

बंधकर तेरी डोरी से,

हम नाचे जैसे मोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


खिंच खिंच डोरी जो,

संभाला ना होता,

हमको मुसीबत से,

निकाला ना होता,

ये चाहे जितना खींचे,

हम खींचते इसकी ओर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


‘बनवारी’ टूटे कैसे,

भक्तो से नाता,

डोर से बंधा है तेरे,

प्रेमी का धागा,

तू रख इसपे भरोसा,

ये डोर नहीं कमजोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥


भोले के हाथों में,

है भक्तो की डोर,

किसी को खींचे धीरे,

और किसी को खींचे जोर,

भोले के हाथो में,

है भक्तो की डोर ॥

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गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है(Gajanand Maharaj Padharo Kirtan Ki Taiyari Hai)

प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥

गजानंद मैहर करो(Gajanand Mehar Karo)

ओ गणनायक महाराज सुमिरा जोडू दोनों हाथ,
ओ गणनायक महाराज,

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