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कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति, कौनसा रुद्राक्ष धारण करने से होता है फायदा, जानें क्या है नियम?, Kaise hue rudraaksh ke utpatti, kaunasa rudraaksh dhaaran karane se hota hai phaayada, jaanen kya hai niyam?

कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति, कौनसा रुद्राक्ष धारण करने से होता है फायदा, जानें क्या है नियम?, Kaise hue rudraaksh ke utpatti, kaunasa rudraaksh dhaaran karane se hota hai phaayada, jaanen kya hai niyam?

जब भी भगवान शिव का प्रसंग आता है तो रुद्राक्ष का जिक्र अवश्य होता है। कहने को रुद्राक्ष इलाओकार्पस गैनिट्रस नामक पेड़ के फल की गुठली या बीज है लेकिन धर्म और आध्यात्म में इसका बड़ा महत्व है। सनातन धर्म के अनुसार रुद्राक्ष बहुत ही पवित्र और शिव को अतिप्रिय है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष एक पवित्र वस्तु है और भगवान शिव से इसका संबंध होने के कारण सनातनियों की इसमें अटूट आस्था और विश्वास है। रुद्राक्ष को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी है और अनेकानेक गलतफहमियां भी। तो आईए जानते हैं रुद्राक्ष के बारे में सब कुछ… 


शिव के आंसू से बना रूद्राक्ष

  

पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु यानी आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक शब्द है जो दो शब्द रुद्र और अक्ष से मिलकर बना है। रुद्र भगवान शिव का ही नाम है और अक्ष का मतलब होता है आंसू। इस तरह रुद्राक्ष का शाब्दिक अर्थ है रूद्र के अश्रु। लेकिन यहाँ प्रश्न यह उठता है कि भगवान शिव आखिर रोये क्यों? जिससे आंसू आएं और रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई? इसका जवाब श्रीमद् देवी भागवत में है। जिसके अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के एक शक्तिशाली असुर ने एक बार सभी देवताओं को हरा दिया। त्राहिमाम त्राहिमाम करते देवता भगवान शिव की शरण में गए। उस समय शिव ध्यानमग्न थे और देवताओं की वेदना सुनकर उनकी आंखों से आंसू गिरे जिनसे रुद्राक्ष का पेड़ उत्पन्न हुआ।


संस्कृत में मुखी का मतलब होता है मुख या चेहरा। ऐसे में जब रुद्राक्ष के एक मुखी या बहुमुखी होने की बात आती है तो इसका अर्थ रुद्राक्ष के मुख से है। मान्यता है कि प्राचीन काल में रुद्राक्ष 108 मुखी होते थे, लेकिन मौजूदा समय में 1 से 21 मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इनके अलावा श्री मुखी, गौरी शंकर और गणेश रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं। इनमें पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे अधिक मिलता है। रुद्राक्ष के हर मुख को शिव के मुख का प्रतीक माना गया है। इन्हें केवल काले, लाल धागे या सोने की चेन में ही पहना जाना चाहिए।


किसे कौन सा रूद्राक्ष पहनना चाहिए

रुद्राक्ष एक मुखी, पंचमुखी से लेकर 21 मुख तक अपने अलग-अलग प्रभाव के लिए जाने जाते है। ऐसे में आप कौन सा रुद्राक्ष धारण करें यह एक बड़ा सवाल है? ग़लत जानकारी के कारण अलग-अलग उद्देश्य हेतु किसी भी राह चलती दुकान से रुद्राक्ष खरीदकर धारण करना आपके जीवन में समस्याओं का कारण बन सकता है। कहा जाता है कि सबसे ज्यादा पाया जाने वाला पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे सुरक्षित है जिसे आमतौर पर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को धारण करना चाहिए। लेकिन फिर भी किसी भी रुद्राक्ष को पहनने से पहले किसी श्रेष्ठ ज्योतिष या पंडित का परामर्श लेना उचित है।


मुख और राशि के अनुसार रुद्राक्ष का चयन कैसे करें 


1. एक मुखी रुद्राक्ष

इसे साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। यह सिंह राशि वालों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। कुंडली में सूर्य संबंधित समस्या के निवारण में एक मुखी रुद्राक्ष को श्रेष्ठ बताया गया है। दीर्घायु होने के लिए एक मुखी या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।


2. दो मुखी रुद्राक्ष

वैवाहिक जीवन में हो रही समस्याओं के निदान हेतु श्रेष्ठ माने गए इस रुद्राक्ष को अर्धनारीश्वर का स्वरूप माना गया है जो कर्क राशि के जातकों के लिए शुभ है। दो मुखी रुद्राक्ष चंद्रमा को भी मजबूत करता है और निर्णय क्षमता में वृद्धि करता है।


3. तीन मुखी रुद्राक्ष

 अग्नि और तेज का प्रतीक यह रुद्राक्ष मेष और वृश्चिक राशि के लिए ये सर्वथा लाभकारी बताया गया है। यह मंगल दोष निवारण के लिए कारगर है। नौकरी में बाधाओं से बचने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें। तीन मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी प्रतीक है। 


4. चार मुखी रुद्राक्ष 

 ब्रह्मा का स्वरूप यह रुद्राक्ष मिथुन और कन्या राशि के लिए श्रेष्ठ है। यह रुद्राक्ष देवी सरस्वती का प्रतिनिधित्व भी करता है। त्वचा रोग और गले की समस्याओं को दूर करने में यह सबसे अच्छा माना गया है। इसे पहनने से शिक्षा में सफलता मिलती है, मानसिक विकार दूर होते हैं। 


5. पांच मुखी रुद्राक्ष

यह आमतौर पर सभी के लिए शुभ बताया गया है।कालाग्नि उपनाम से प्रसिद्ध इस रुद्राक्ष द्वारा मंत्र शक्ति और अद्भुत ज्ञान के साथ स्वयं की श्रेष्ठता सिद्ध की जा सकती है। धनु और मीन राशि वाले शिक्षा में बाधा आने की दशा में इसका उपयोग कर सकते हैं। 5 मुखी रुद्राक्ष खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। यह आपकी तंत्रिकाओं को शांत कर स्नायु तंत्र में भी शांति और सतर्कता बढ़ाता है। धनु और मीन राशि के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष बहुत शुभ है। यह मान-सम्मान और भाग्योदय में सहायक है। यह रुद्राक्ष सेहत का भी सहायक है।


6. छह मुखी रुद्राक्ष

भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय के दिव्य स्वरूप का प्रतीक यह रुद्राक्ष कुंडली में बैठे कमजोर शुक्र को शक्तिशाली बनाता है। तुला और वृषभ राशि के जातकों के लिए यह उत्तम माना गया है। छह मुखों वाला रुद्राक्ष 14 साल से छोटे बच्चों के लिए उत्तम माना गया है। यह शान मुखी रुद्राक्ष उन्हें शांत और एकाग्र बनाता है। 6 मुखी रुद्राक्ष बुद्धि ज्ञान और भौतिक सुखों में वृद्धि करता है।


7. सात मुखी रुद्राक्ष

 मकर और कुंभ राशि के लिए श्रेष्ठ यह रुद्राक्ष सप्त मातृ एवं सप्तऋषियों का स्वरूप है । यह रुद्राक्ष विपरीत दशाओं और गंभीर स्थितियों से रक्षा करता है। कहा जाता है कि यह इतना शक्तिशाली है कि मृत्यु जैसे अनिष्ट को भी टाल सकता हैं । यह रुद्राक्ष आय के नए स्त्रोत पैदा कर धन से जुड़ी समस्याएं दूर करता है। 


8. आठ मुखी रुद्राक्ष

अष्ट देवियों का प्रतीक यह रुद्राक्ष अष्टसिद्धियों का प्रदाता है। आकस्मिक धन प्राप्ति और कुंडली में राहु दोष निवारण में समर्थ आठ मुखी रुद्राक्ष बेहद चमत्कारी है। 


9. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

स्वयं शिव के दर्शन का लाभ देने वाला यह रुद्राक्ष संतान सुख देने वाला है। 


10 बारह मुखी रुद्राक्ष 

यह सबसे मूल्यवान रुद्राक्ष है जो सिंह राशि वालों को के लिए श्रेष्ठ है। सिंह राशि का स्वामी सूर्य ग्रह है ऐसे में 12 मुखी रुद्राक्ष इन्हें धन-वैभव और नेतृत्व क्षमता प्रदान विकास करता है। 


इनके अलावा गौरी-शंकर एक खास किस्म का रुद्राक्ष होता है जो आपकी ईडा और पिंगला के बीच संतुलन बनाते हुए स्वास्थ्य और संपन्नता में बढ़ोतरी करता है। शीघ्र विवाह के लिए दो मुखी रुद्राक्ष के अलावा गौरी शंकर रुद्राक्ष लाभदायक होता है। 


रुद्राक्ष पहनने के फायदे 


रुद्राक्ष को एक तरह का रक्षा कवच माना गया है। अनजान जगह पर यह आपकी रक्षा करता है। आपने अक्सर देखा होगा कि साधु संत और संन्यासी लगातार घूमते रहते हैं और जंगलों पहाड़ों गुफाओं और न जाने ऐसी कितनी ही जगहों पर जाते हैं जहां हर कदम खतरा हो सकता है। लेकिन वे सदैव रूद्राक्ष धारण करते हैं। इसके पीछे उनका भगवान शिव पर यह विश्वास है कि रुद्राक्ष उनकी रक्षा करता है। रुद्राक्ष आपके व्यापार, व्यवसाय, शिक्षा स्वास्थ्य और जीवन की अन्य सभी परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है बशर्ते आपने सही रुद्राक्ष धारण किया हो। रुद्राक्ष घिसकर तिलक लगाने से तेज और सौंदर्य बढ़ता है।


रूद्राक्ष के बारे में कहा गया है कि यदि आप कही  जहरीले या दूषित पानी की परख करना चाहते हैं तो पानी के ऊपर एक रुद्राक्ष लटका दें। अगर पानी शुद्ध और पीने योग्य है, तो यह घड़ी की सुई की दिशा में घूमेगा और अगर पानी दूषित और जहरीला है तो यह विपरीत दिशा में घूमेगा। इस विधि से भोजन की गुणवत्ता को भी परखा जा सकता है।


नहाते वक्त रुद्राक्ष का पानी जब आपके शरीर पर से बहता है तो यह स्वास्थ्य वर्धक है और आध्यात्मिक दृष्टि से भी इससे आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अल्टरनेटिव थेरेपी में रुद्राक्ष थेरेपी आजकल बहुत प्रचलित हो गई है। रुद्राक्ष अकाल मृत्यु और शत्रु बाधा से भी रक्षा करता है।

 

असली नकली रुद्राक्ष को कैसे पहचानें? 


दशकों पहले रुद्राक्ष के नकली होने की संभावना बहुत कम थी क्योंकि इन्हें सिर्फ पारंपरिक रूप से ऐसे लोगों के द्वारा बेचा जाता था जो इसे अपने जीवन यापन करने का एक पवित्र जरिया मानते थे। वे लोग इन्हें सीधे पहाड़ों से लाकर बेचते थे लेकिन बढ़ती मांग, कटते जंगल और रुद्राक्ष के व्यापारीकरण ने रुद्राक्ष के नकली स्वरूप को बाजार में बढ़ावा दिया है। इस कारण से आस्था से खिलवाड़ का गोरखधंधा बहुत तेजी से पनपने लगा है। रुद्राक्ष के स्वरूप जैसा एक और बीज भद्राक्ष भी है जो एक जहरीला बीज है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इस नकली रुद्राक्ष का व्यापार धड़ल्ले से हो रहा है। देखने में ये हुबहू रुद्राक्ष जैसा है जिसके चलते असली और नकली में फर्क करना बहुत मुश्किल है। ऐसे में रुद्राक्ष हमेशा एक विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त करें। असली नकली की परख करने हेतू रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें। कुछ समय बाद यदि उसका रंग और गहरा होता है तो यह असली रुद्राक्ष है।


रुद्राक्ष धारण करने के नियम 


  • रुद्राक्ष को लाल धागे या पीले धागे में धारण करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को धारण करना श्रेष्ठ माना गया है। 
  • मासिक शिवरात्रि के दिन भी इसे धारण किया जा सकता है।
  • सावन के महीने में रुद्राक्ष किसी भी दिन पहना जा सकता है।
  • रुद्राक्ष 1, 27, 54 और 108 की संख्या में धारण करना चाहिए।
  • धारण करने से पहले इसे गंगाजल या फिर गाय के दूध से शुद्ध करें ।
  • स्नान ध्यान कर भगवान शिव की पूजा कर रुद्राक्ष धारण करें। 
  • धारण करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें ।
  • रुद्राक्ष धारण करने के बाद सात्विक जीवन चर्या का पालन करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को यदि किसी धातु के साथ धारण करें तो यह ज्यादा लाभकारी है। 
  • किसी अन्य व्यक्ति का उतारा गया रुद्राक्ष कभी भी धारण नहीं करना चाहिए।
  • स्त्रियों को बच्चे के जन्म के बाद सूतक काल समाप्त होने तक रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष धारण किए पुरुष को भी नवजात शिशु और मां के पास नहीं जाना चाहिए।
  • अंतिम संस्कार में शामिल होने से पहले रुद्राक्ष उतार देना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। शौच और लघुशंका के दौरान भी रुद्राक्ष को गले से उतार देना चाहिए।
  • रुद्राक्ष किसी जानकार पंडित या ज्योतिषी से पूछकर ही धारण करें।


ऐसा होता है रुद्राक्ष का पेड़?


रुद्राक्ष का पेड़ आमतौर पर पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। हिमालय और गंगा के मैदानों में यह बहुतायत में पाए जाते हैं। इन पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग रेल की पटरी के नीचे बिछाने में किया जाता है जो रुद्राक्ष के पेड़ों के खत्म होने का मुख्य कारण भी है। भारत में पहाड़ी इलाकों के अलावा रुद्राक्ष के पेड़ दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट में भी मिलते हैं। साथ ही देश के बाहर नेपाल, म्यामांर, थाईलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया में भी रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते हैं। रुद्राक्ष के आकार की बात करें तो नेपाल में 20 से 35 मिमी, इंडोनेशिया में 5 और 25 मिमी के बीच के आकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। यह सामान्यतः लाल, सफेद, भूरे, पीले और काले रंग के होते हैं।


रुद्राक्ष के पेड़ के बारे में महत्वपूर्ण बातें 


  • यह एक सदाबहार पेड़ है।
  • रुद्राक्ष के पेड़ की ऊंचाई 50 फीट से लेकर 200 फीट तक होती है।
  • यह पेड़ 3 से 4 साल में फल यानी रुद्राक्ष देने लगता है।
  • हमारे देश में रुद्राक्ष की लगभग 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है।  


ऐसे लगाये रुद्राक्ष का पेड़


वैसे तो रुद्राक्ष का पेड़ पहाड़ी क्षेत्रों की अति विशिष्ट जलवायु में ही फलता फूलता है लेकिन यदि आप रुद्राक्ष के पेड़ लगाना चाहते हैं तो एयर लेयरिंग विधि से लगा सकते हैं। इसके लिए 3 से 4 साल के पौधे की शाखा पर रिंग काटकर उस पर मौस लगाए। फिर उसे पॉलीथिन से ढक कर दोनों तरफ रस्सी बांध दें। लगभग 45 दिनों बाद शाखा में से इतनी जड़ें फूट पड़ेगी की उसे एक नए बैग या गमले में लगाया जा सके। इसके 15 से 20 दिन बाद आप पौधा मनचाही जगह पर लगा सकते हैं। इसके अलावा आप नर्सरी से भी रुद्राक्ष का पौधा ला कर लगा सकते हैं।


रुद्राक्ष में है औषधीय गुण


रुद्राक्ष के औषधीय और आध्यात्मिक महत्व पुराणों में वर्णित है। रुद्राक्ष एक औषधीय गुणों वाला चमत्कारी बीज है। रुद्राक्ष की माला गले में पहनने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित किया जा सकता है। इसके तेल से एक्जिमा, दाद और मुहांसों को खत्म किया जा सकता है। रुद्राक्ष से ब्रोंकाइल अस्थमा का इलाज संभव है। रुद्राक्ष धारण करने से दिल की बीमारी, घबराहट कम होती है यह मनुष्य को दीर्घायु बनाने में मदद करता है।


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शाबर मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

शाबर मंत्र भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रतीक हैं, जो मनुष्य की समस्याओं को सहजता से हल करने के लिए बनाए गए। ये मंत्र संस्कृत के कठिन श्लोकों के विपरीत, क्षेत्रीय भाषाओं और बोली में रचे गए हैं, जिससे हर कोई इन्हें आसानी से पढ़ और उपयोग कर सकता है।

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