धर्म का पालन करने वाले सनातनियों के घर में पूजा घर अवश्य होता है। पूजा घर में हमारे सभी देवी-देवताओं की तस्वीरें और मूर्तियां होती हैं, जिनकी हम पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन पूजा घर के भी अपने नियम-कायदे हैं। पवित्रता, शुद्धता, स्वच्छता के अलावा और भी कई अनुशासन हैं जो पूजा घर के लिए बनाए गए हैं।
जब भी पूजा घर के जुड़े नियमों की बात आती है तो एक बात पर हमेशा चर्चा होती है। वो यह कि पूजा घर में कितने भगवान रखें और किस भगवान की कितनी मूर्तियां या तस्वीर रखीं जा सकती हैं। यह एक ऐसा प्रश्न है जो अमूमन पूछा जाता है। भक्त वत्सल की धर्म ज्ञान सीरीज के इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करते हैं।
गृहे लिंगद्वयं नाच्यं गणेशत्रितयं तथा।शंखद्वयं तथा सूर्यो नार्च्यो शक्तित्रयं तथा॥द्वे चक्रे द्वारकायास्तु शालग्राम शिलाद्वयम्।तेषां तु पुजनेनैव उद्वेगं प्राप्नुयाद् गृही॥
अर्थात: घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमती चक्र और दो शालिग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशांति होती है।
यह मंत्र अपने आप में प्रमाणिकता और शास्त्रानुसार स्वयं सत्य है। लेकिन फिर भी एक-एक ही रख सकते हैं। मान्यता है कि घर में किसी भी देवता की तीन मूर्तियां या चित्र नहीं होने चाहिए। साथ ही मूर्ति पीतल, तांबा, सोना, चांदी या कांसे की धातुओं से बनी होना चाहिए।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम है चण्डी पाठ और चण्डी हवन। यह न केवल आपके शत्रु को परास्त करता है बल्कि जीवन की सभी बाधाएं, रोग-दुःख और ग्रहदोष से भी मुक्ति दिलाता है।
हिंदू शास्त्रों में मां लक्ष्मी को वैभव, धन, सुख और ऐश्वर्य की देवी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिन पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उनके जीवन में कभी दरिद्रता या संकट नहीं आता।
महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत प्रभावशाली और सिद्धिदायक माना गया है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका जाप जीवन के भय, रोग, शोक और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है। परंतु बिना विधि और नियम के मंत्र जाप करना लाभ के बजाय हानि का कारण बन सकता है।
सनातन धर्म में श्रीरामचरितमानस का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इसमें भी जब रामायण का पाठ बिना रुके, लगातार 24 घंटे किया जाए, तो उसे अखंड रामायण पाठ कहा जाता है।