हर इंसान की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि वह लंबा, स्वस्थ और सुखद जीवन जिए। कोई नहीं चाहता कि असमय बीमारियों या मानसिक तनाव से उसका जीवन प्रभावित हो। आयुर्वेद, ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि दीर्घायु केवल शरीर की लंबी उम्र नहीं होती, बल्कि यह एक ऐसा जीवन होता है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से संतुलित रहता है।
हमारे धर्म ग्रंथों में कई ऐसे पूजा-पाठ, मंत्र और व्रत-उपवास बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर न केवल दीर्घायु प्राप्त की जा सकती है, बल्कि रोगों से भी बचाव संभव होता है। यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक इन उपायों को जीवन में उतार लिया जाए, तो व्यक्ति जीवन के हर पड़ाव को सकारात्मक ऊर्जा के साथ पार कर सकता है।
दीर्घायु और रोगों से बचाव के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप सबसे प्रभावी माना गया है। यह मंत्र अकाल मृत्यु और गंभीर रोगों से रक्षा करता है।
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
हनुमान जी को चिरंजीवी (अजर-अमर) देवता माना जाता है।
सूर्यदेव को प्रतिदिन अर्घ्य देना भी दीर्घायु का प्रमुख उपाय है।
लक्ष्मी पंचमी का त्योहार मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में लक्ष्मी जयंती का विशेष महत्व है। दिन में माता लक्ष्मी की विधि रूप से पूजा करने से धन, वैभव, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
स्वामीनारायण जयंती हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान स्वामीनारायण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में माता महातारा को आदि शक्ति का एक दिव्य और शक्तिशाली रूप माना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक, महातारा देवी को ज्ञान, सिद्धि और सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।