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नशा मुक्ति पूजा विधि

नशा मुक्ति पूजा विधि

नशा मुक्ति के लिए करें भगवान शिव और हनुमान की पूजा, मिलती है आत्मिक शक्ति और संकल्प

नशा एक ऐसा बंधन है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की सोच, शरीर और आत्मा को कमजोर करता है। शराब, सिगरेट, गुटखा या अन्य प्रकार के नशे की लत से छुटकारा पाना केवल शारीरिक प्रयासों से संभव नहीं होता, बल्कि इसके लिए आत्मिक शक्ति और मानसिक दृढ़ता की भी आवश्यकता होती है। हिंदू धर्म में ऐसी कई पूजा विधियाँ और साधनाएँ बताई गई हैं, जो मन को शुद्ध कर संकल्प को मजबूत करती हैं। नशा मुक्ति के लिए भगवान शिव और हनुमान की उपासना को सबसे प्रभावी माना गया है।

शिव की आराधना से मिलती है शांति और संयम

शिव को भोलेनाथ कहा जाता है—जो अपने भक्तों की सच्ची प्रार्थना पर तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। शिवलिंग पर नियमित रूप से जल और दूध अर्पित करने से मन को ठंडक और संकल्प को शक्ति मिलती है। नशा छोड़ने का संकल्प लेकर यदि श्रद्धा से भगवान शिव का जाप किया जाए, तो यह कार्य आसान हो जाता है।

 महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से कारगर होता है।

मंत्र:

 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्

यह मंत्र न केवल शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करता है, बल्कि नकारात्मक प्रवृत्तियों से भी रक्षा करता है।

हनुमान जी से मिलता है आत्मबल

हनुमान जी को बल, बुद्धि और विद्या के प्रतीक माने जाते हैं। मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ तथा "ॐ हनुमते नमः" का जप करने से मनोबल में वृद्धि होती है। यह मंत्र नशे की लत से लड़ने की आंतरिक शक्ति देता है।

 हनुमान जी की मूर्ति के सामने बैठकर जब व्यक्ति अपनी लत से मुक्त होने की प्रार्थना करता है, तो यह उसके भीतर एक नया विश्वास और ऊर्जा भरता है।

सरस्वती माता देती हैं विवेक और ज्ञान

कई बार नशा जीवन में अवसाद, तनाव या निर्णय की कमी के कारण शुरू होता है। ऐसे में सरस्वती माता की पूजा से व्यक्ति को सही मार्गदर्शन और मानसिक स्थिरता मिलती है। "या कुन्देन्दुतुषारहारधवला..." स्तुति का जाप करने से मन शांत होता है और विवेक बढ़ता है।

पूजा विधि और सामग्री

शिव या हनुमान पूजा के लिए सामान्य पूजा सामग्री जैसे जल, दूध, फूल, चावल, दीपक, अगरबत्ती, तुलसी, बेलपत्र, गंगाजल, रोली, मौली, फल और नारियल रखें। भगवान को भोग लगाकर प्रार्थना करें कि वे आपको नशे की आदत से मुक्ति दें।

जरूरी है संकल्प और सत्संग

पूजा के साथ सबसे ज़रूरी है अपना संकल्प। नशा छोड़ने का मन से प्रण लें। साथ ही सकारात्मक संगति (सत्संग), योग और ध्यान से मन को शांत रखें। धार्मिक ग्रंथ पढ़ना, सेवा कार्यों में शामिल होना और ध्यान करना भी नशा मुक्ति की राह को आसान बनाता है।

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8वीं सदी में बनाए थे 13 अखाड़े

प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी।

भगवान को पंचामृत से स्नान क्यों कराते हैं?

हिंदू धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह एक पवित्र मिश्रण है जिसे पूजा-पाठ में और विशेष अवसरों पर भगवान को अर्पित किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं। इन पांच पवित्र पदार्थों को मिलाकर बनाया गया पंचामृत भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।

हाथ जोड़कर ही क्यों करते हैं प्रार्थना?

ईश्वर से जुड़ने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अपने खास तरीके हैं। हिंदू धर्म में, प्रार्थना करते समय आंखें बंद कर लेना और हाथ जोड़कर खड़े होते हैं। हाथ जोड़ना सिर्फ एक नमस्कार नहीं है, बल्कि यह विनम्रता, सम्मान और आभार का प्रतीक है।

सिर पर कपड़ा बांधकर पूजा क्यों की जाती है?

हिंदू धर्म में मंदिर, घर या किसी भी पवित्र स्थान पर पूजा करते समय सिर को ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि पूजा के दौरान सिर ढकने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महिलाएं आमतौर पर साड़ी का पल्लू या दुपट्टा और पुरुष रूमाल का उपयोग करते हैं।

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