हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन बेहद खास होता है। आमतौर पर यह दिन केक काटने, मोमबत्तियां बुझाने और पार्टी करने में बीत जाता है। लेकिन हिंदू संस्कृति में यह दिन सिर्फ उत्सव नहीं, एक आध्यात्मिक अवसर होता है — जहां दीर्घायु, आरोग्यता और समृद्धि के लिए विशेष पूजन किया जाता है।
जैसे जीवन में जन्म, विवाह और मृत्यु – ये तीन सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होते हैं, वैसे ही जन्मदिवस आत्मनिरीक्षण और पुण्य कमाने का विशेष अवसर होता है। वैदिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आयु का एक वर्ष कम हो जाता है, इसलिए अगला वर्ष मंगलमय हो, इसके लिए ईश्वर की शरण में जाना आवश्यक होता है।
पश्चिमी परंपरा में मोमबत्तियां बुझाई जाती हैं, लेकिन वैदिक परंपरा कहती है कि जितनी उम्र हो चुकी है, उतने दीए भगवान के सामने जलाएं। आने वाले वर्ष के लिए एक बड़ा दीपक अलग से जलाएं। इससे जीवन में उजाला और नकारात्मकता से रक्षा होती है। छोटे बच्चों के लिए रंगीन चावलों से स्वस्तिक बनाकर उस पर दीप जलाना भी शुभ माना गया है।
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को अत्यंत शुभ और पूजनीय माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता हैं 12 नवंबर को मनाई जाएगी।
देवउठनी एकादशी को देवोत्थान और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में किसी भी सफलता को प्राप्त करने के लिए संकल्प और नियमों की आवश्यकता पड़ती है।