जामनगर की रणमल झील के दक्षिण पूर्व में हनुमान जी का एक चमत्कारिक मंदिर प्राचीनता और अनोखी भक्ति भाव के चलते मशहूर है। बाला हनुमान मंदिर, जिसे श्री बाला हनुमान संकीर्तन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर झील से एक चौड़ी सड़क द्वारा अलग है। साधारण दिखने वाले इस मंदिर में भगवान राम, भगवान लक्ष्मण, देवी सीता और हनुमान जी की मूर्तियां है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये मंदिर उन्हें प्राकृतिक आपदाओं से बचाता है।
इस मंदिर की स्थापना 1540 ईं में हुई थी, इस मंदिर का निर्माण श्री प्रेम भिक्षु जी महाराज ने 1 अगस्त 1964 में किया था। इस मंदिर के महाराज के कहने पर हनुमान भक्तों ने श्री राम धुन का जाप 7 दिन के लिए शुरू किया था जो लगातार इतने सालों से जारी है। बिना रुके बिना थके हनुमान भक्त श्री राम का जाप करते रहते हैं। 24 घंटे श्री राम, जयराम, जय जय राम के जाप के लिए इस का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। जामनगर का इतिहास 1540 ईं से जुड़ा हुआ है। जामनगर को नवानगर भी कहा जाता है जिसका अर्थ है नया शहर।
इसका निर्माण श्री जाम रावल ने करवाया था जो जाम हाला के वंशज थे, जिन्हें भगवान कृष्ण के उत्तराधिकारियों में से एक माना जाता है। यह मंदिर जटिल वास्तुकला को चित्रित करता है जिसमें जातीय डिजाइन शामिल है खंभे और अद्भुत नक्काशी है।
राम धुन यहां पर एक परंपरा बन गई है जो आज तक जारी है। इसे गाने वाले कोई पेशेवर गायक नहीं है सामान्य भक्तजन ही है। अब तो यहां पर सूची बनाकर एक दिन पहले नोटिस बोर्ड पर लगा दी जाती है। विशेष परिस्थितियों के चलते भी कोई विघ्न न पड़े इसके लिए चार गायकों का नाम अतिरिक्त गायकों की सूची में रखा जाता है। इसके साथ ही मंदिर में कोई भी भक्त स्वयं अपनी मर्जी से भी राम धुन भजन सभा में शामिल हो सकता है।
बाबा हनुमान मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है, लोगों का मानना है कि यह मंदिर उन्हें विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं और अन्य परेशानियों से बचाता है। यहां आरती दिन में दो बार और शाम को होती है। शाम के समय होने वाली आरती में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते है।
बाला हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती जैसे त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, निरंतर जप अपने आप में एक कार्यक्रम बन गया है, जिसमे दुनिया भर से लोग भाग लेने और धार्मिक भक्ति के लिए आकर्षित होते हैं।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर एयरपोर्ट है जो शहर से केवल 9 से 10 किमी की दूरी पर है और मुंबई, अहमदाबाद, वडोदरा और अन्य गुजराती शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते है।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जामनगर पुराना रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 4 किमी दूर है। भारत के कई राज्यों से जामनगर तक नियमित और साप्ताहिक ट्रेनें आती है। स्टेशन से आप ऑटो या टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते है।
सड़क मार्ग - जामनगर विभिन्न राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं।
मंदिर का समय- ये मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुला रहता है।
महाकुंभ मेला हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में यह दिव्य आयोजन प्रयागराज में होगा, जो लगभग 30 से 45 दिनों तक चलेगा।
महाकुंभ की शुरुआत में अब केवल 15 दिन से भी कम का समय बचा है। इससे पहले, विभिन्न अखाड़े प्रयागराज में अपनी पेशवाई निकाल रहे हैं और नगर में प्रवेश कर रहे हैं। कई अखाड़ों ने अपनी पेशवाई पूरी कर ली है, जिन्हें देखने के लिए प्रयाग का वातावरण उमड़ पड़ा है।
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। 13 जनवरी से कल्पवासी भी आने लगेंगे, और यह महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान संगम किनारे करोड़ों श्रद्धालु 45 दिनों तक कल्पवास करेंगे।
हमारे देश में एक पुरानी कहावत है, "झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए।" इसका मतलब है कि झूठन मूंह वाले को भगवान के मंदिर में नहीं जाना चाहिए। ये बात हमारी धर्म और संस्कृति से जुड़ी हुई है। जब हम मंदिर जाते हैं तो भगवान से मिलने जाते हैं।