Logo

माघ के पहले प्रदोष पर कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न

माघ के पहले प्रदोष पर कैसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न

माघ माह के प्रदोष के दिन इन उपायों से करें भगवान शिव की प्रसन्न, सौभाग्य में होगी वृद्धि


इस बार माघ महीने का पहला प्रदोष व्रत, 27 जनवरी, सोमवार के दिन पड़ रहा है। चूंकि यह सोमवार के दिन है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। शिव भक्तों के लिए यह एक विशेष अवसर है क्योंकि इस दिन सोमवार और प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग बन रहा है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 जनवरी की रात 8:54 बजे शुरू होगी और यह 27 जनवरी की रात 8:27 बजे समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस बार प्रदोष व्रत सोमवार, 27 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। अब ऐसे में अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो माघ माह के प्रदोष व्रत के दिन इन कामों को करने से लाभ हो सकता है और उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को चढ़ाएं ये फूल


सोम प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। शिव पूजा में फूलों का विशेष महत्व होता है। विभिन्न प्रकार के फूल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाए जाते हैं।

धतूरा, कनेर,चमेली, मोगरा


सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को लगाएं ये भोग 


सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को दूध, खीर, सफेद आदि का भोग लगाएं। 


सोम प्रदोष व्रत के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ 


शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस स्तोत्र का पाठ करने से मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।


जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥
धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥
सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥



सोम प्रदोष व्रत के दिन करें इन मंत्रों का जाप 


सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इस व्रत के दौरान भगवान शिव के विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है।

  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ महादेवाय नमः
  • ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं


चंद्रदोष के निवारण के लिए उपाय


ऐसी मान्यता है कि सोम प्रदोष व्रत रखने और शिव जी की पूजा करने से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष से संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं। चंद्रमा मन को नियंत्रित करता है। इसलिए, चंद्र दोष होने पर व्यक्ति को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शिव जी की कृपा से ये समस्याएँ दूर होती हैं और मन शांत रहता है।


........................................................................................................
कब है बसंत पंचमी 2025?

माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

बसंत पंचमी पर इन मंत्रों का करें जाप

बसंत पंचमी का त्योहार जो कि हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। जो इस साल 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह त्योहार सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है।

बसंत पंचमी पर किस दिशा में करें पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वहीं इस साल बसंत पंचमी 02 फरवरी को मनाया जाएगा।

बसंत पंचमी पर महाकुंभ का स्नान क्यों है खास?

महाकुंभ जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है इस बार बसंत पंचमी पर विशेष रूप से खास होने वाला है। इस दिन महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है जो कि त्रिवेणी संगम में होगा।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang